Top 10] बद्रीनाथ के पर्यटन स्थल | Tourist places in Badrinath in Hindi

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उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित बद्रीनाथ धाम हिमालय की गोद में बसा हुआ एक धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल है। भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ मंदिर, चार धाम यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है, जिसकी वजह से इसे हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। बद्रीनाथ के पर्यटन स्थल लेकिन क्या आप जानते हैं कि बद्रीनाथ सिर्फ धर्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि यहां प्राकृतिक नज़ारों का भी खजाना छुपा है? यह लेख आपको बद्रीनाथ के धार्मिक स्थलों के साथ-साथ पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी देगा, ताकि आप अपनी यात्रा को और भी यादगार बना सकें।

Top 10] बद्रीनाथ में घूमने की जगह | Places to visit in Badrinath in Hindi

Table of Contents

बद्रीनाथ के दर्शनीय स्थल – Narayan-Paduka

बद्रीनाथ के दर्शनीय स्थल

Places to Visit in Badrinath – Narayan-Paduka in Hindi

बचपन से ही मैंने बद्रीनाथ की यात्रा के किस्से सुने हैं. दादी मां की कहानियों में वहां का भव्य मंदिर और आसमान छूते पहाड़ न जाने कितनी बार जीवंत हो उठते थे. इस बार जब बद्रीनाथ जाने का सपना पूरा हुआ, तो सबसे पहले मैं भगवान विष्णु के चरण चिन्हों के दर्शन के लिए निकल पड़ी. “नारायण-पदुका” तक पहुंचने के लिए मनोरम नदी किनारे का रास्ता है, मानो प्रकृति खुद भगवान के स्वागत के लिए सज गई हो. कहते हैं, यहां चट्टान पर भगवान विष्णु के विशाल पैरों के निशान हैं. इन चरणों को छूकर मन अशांतियों से मुक्त हो जाता है, और बद्रीनाथ यात्रा की शुरुआत एक पवित्र अनुभूति के साथ होती है.

Time: 7 am to 7 pm
Entry fee: Free
Location: Located on the way to Mana village, 3 km from Badrinath
How to reach: One can easily reach from Badrinath by taxi or local bus.

बद्रीनाथ में प्रसिद्ध मंदिर – Badrinath Temple

बचपन से ही मन में बद्रीनाथ धाम के दर्शन की एक तीव्र इच्छा थी. यह इच्छा और भी प्रबल हो जाती थी, जब दादा जी मंदिर की भव्यता और भगवान विष्णु की पवित्र प्रतिमा के बारे में सुनाते थे. आखिरकार वह दिन आया, जब मैं बद्रीनाथ पहुंची. मंदिर के बाहर कदम रखते ही एक अलौकिक शांति का अनुभव हुआ. दूर से ही मंदिर की काले पत्थरों से बनी शिखर दिखाई दे रही थी, जो मानो आसमान को छू रही हो. मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते वक्त घंटियों की मधुर ध्वनि और भक्तों के जयकारों ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया. भगवान विष्णु की बद्रीनाथ रूप में दर्शन कर मन भर गया. चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह था. बद्रीनाथ यात्रा अधूरी ही मानी जाती है, अगर आपने इस ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन ना किए हों.

  • समय: सुबह 7:30 बजे से शाम 3:30 बजे तक (दर्शनों के लिए)
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: बद्रीनाथ शहर के मुख्य भाग में स्थित
  • कैसे पहुंचे: बद्रीनाथ धाम तक पहुंचने के लिए सड़क और हेलीकॉप्टर दोनों मार्ग उपलब्ध हैं.

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बद्रीनाथ में जाने की जगहें – Brahmakapal

बद्रीनाथ में जाने की जगहें

Places to Visit in Badrinath – Brahmakapal in Hindi

बद्रीनाथ यात्रा के दौरान पवित्र अलकनंदा नदी का किनारा कभी ना भूलने वाला अनुभव रहा. नदी के किनारे-किनारे चलते हुए अचानक सामने आया “ब्रह्मकपाल” नाम का ये घाट. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां भगवान ब्रह्मा का सिर गिरा था. घाट पर बैठकर मैंने अलकनंदा की शीतल धारा को महसूस किया, दूर बर्फ से ढके पहाड़ों को निहारा और मन को एक तरह की पवित्रता से भरते हुए पाया. कहते हैं, इस घाट में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भले ही ये मान्यता कितनी भी सच हो, पर यहां का वातावरण इतना शांत और सुंदर है कि मन को असीम शांति जरूर मिलती है.

  • समय: हमेशा खुला रहता है
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: बद्रीनाथ मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है
  • कैसे पहुंचे: बद्रीनाथ मंदिर से पैदल ही आसानी से पहुंचा जा सकता है

बद्रीनाथ के पास पर्यटन स्थल – Saraswati Kund

यह बद्रीनाथ की धार्मिक यात्रा के साथ-साथ वहां के प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव भी कमाल का रहा. एक दिन मंदिर दर्शन के बाद आसपास घूमने निकली तो “सरस्वती कुंड” के बारे में सुना. माना जाता है कि इस कुंड का पानी पवित्र सरस्वती नदी से आता है. कुंड के पास पहुंचते ही ठंडी हवा का झोंका और आसपास का शांत वातावरण मन को मोहने लगा. मैंने तांबे के लोटे से कुंड का पवित्र जल लिया और धीरे-धीरे पिया. कहते हैं कि इस जल को पीने से बुद्धि तेज होती है और ज्ञान में वृद्धि होती है. भले ही मान्यता कुछ भी हो, लेकिन पहाड़ों के बीच स्थित इस प्राकृतिक कुंड का वातावरण इतना मनमोहक था कि घंटों वहीं बैठकर प्रकृति का आनंद लेना चाहता था.

  • समय: हमेशा खुला रहता है
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: माणा गांव जाने वाले रास्ते में स्थित है.
  • कैसे पहुंचे: बद्रीनाथ से टैक्सी या स्थानीय बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.

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बद्रीनाथ में करने के लिए चीजें – Trekking or Mountaineering

बद्रीनाथ में करने के लिए चीजें

Things to do in Badrinath – Trekking or Mountaineering in Hindi

यह बद्रीनाथ की यात्रा सिर्फ दर्शन और पूजा तक ही सीमित नहीं रखना चाहती थी. बचपन से ही मन में थी रोमांच की ज्वाला, जो पहाड़ों के बीच ट्रेकिंग करके शांत करना चाहती थी. बद्रीनाथ के आसपास कई ट्रेकिंग रास्ते हैं, जिनमें से मैंने सतोपंथ ताल तक जाने का रास्ता चुना. पहाड़ों की कठिन चढ़ाई और घने जंगलों का रास्ता पार करते वक्त थकान जरूर हुई, लेकिन साथ ही रोमांच का ऐसा अनुभव मिला जो शायद ही कभी भुला पाऊँगी. ऊंचाई पर पहुंचकर बादलों को छूते हुए पहाड़ों का नजारा देखना, और फिर उस मनमोहक सतोपंथ ताल को देखना, ये वो पल थे जिन्होंने मेरी यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया.

  • समय: ट्रेकिंग के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है.
  • प्रवेश शुल्क: कुछ ट्रेकिंग रास्तों पर वन विभाग द्वारा निर्धारित शुल्क लग सकता है, पर हर जगह नहीं.
  • स्थान: बद्रीनाथ के आसपास कई ट्रेकिंग रास्ते हैं, जैसे सतोपंथ ताल, वासुधारा फॉल, नीलकंठ आदि.
  • कैसे पहुंचें: ट्रेकिंग रास्तों की जानकारी और गाइड के लिए बद्रीनाथ में ही स्थानीय ट्रैवल एजेंसियों से संपर्क किया जा सकता है.

बद्रीनाथ के आसपास घूमने की जगह – Gomukh

यह बद्रीनाथ के पर्यटन स्थलों की खूबसूरती का जिक्र करते वक्त गोमुख को ना बताना तो मेरी यात्रा को अधूरा ही छोड़ देगा. बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित ये वो जगह है जहां से गंगोत्री का ग्लेशियर निकलता है, वही ग्लेशियर जिससे पवित्र गंगा नदी का उद्गम होता है. गामुख तक पहुंचने का रास्ता थोड़ा कठिन है, लेकिन बर्फ से ढके रास्ते पर चलते हुए प्रकृति का ये अद्भुत नजारा देखना अपने आप में एक अनोखा अनुभव था. गामुख के पास खड़े होकर मैंने महसूस किया मानो पवित्र गंगा की धारा सीधे मेरे दिल को छू रही हो. पहाड़ों की गोद में बसा ये पवित्र स्थल न सिर्फ धार्मिक आस्था जगाता है, बल्कि प्रकृति की भव्यता का भी अहसास कराता है.

  • समय: सामान्य तौर पर मई के अंत से लेकर अक्टूबर के मध्य तक
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: गंगोत्री से 19 किलोमीटर आगे गौमुख नामक स्थान पर स्थित है
  • कैसे पहुंचे: गंगोत्री से टैक्सी या जीप द्वारा पहुंचा जा सकता है. बद्रीनाथ से गंगोत्री की यात्रा भी अपने आप में खूबसूरत है.

बद्रीनाथ के पास घूमने की जगह – Hemkund Sahib

बद्रीनाथ के पास घूमने की जगह

Places to Visit Near Badrinath – Hemkund Sahib in Hindi

बद्रीनाथ यात्रा के दौरान एक ऐसा अनुभव भी हुआ, जिसने मुझे धर्म और अध्यात्म की एक अलग झलक दिखाई. बद्रीनाथ से कुछ दूर हिमालय की गोद में स्थित है हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा. पैदल चलने का रास्ता चुनकर मैं इस पवित्र स्थल तक पहुंची. रास्ते में घने जंगल और खूबसूरत फूलों के मैदान देखने को मिले. गुरुद्वारे के दर्शन के लिए जाते समय मन में एक अजीब सी शांति थी. सरोवर के बीचों-बीच बने सुनहरे गुंबद वाले इस गुरुद्वारे की छटा देखते ही रह जाना चाहता था. गुरुद्वारे के अंदर मत्था टेककर मन को एक सुकून मिला, जो शायद ही शब्दों में बयान किया जा सकता है. धर्म या मज़हब से ऊपर उठकर ये जगह आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र सी लगती है.

बद्रीनाथ के पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • समय: नवंबर से अप्रैल के बीच गुरुद्वारा दर्शन के लिए बंद रहता है, बाकी समय सुबह दर्शन और शाम को लंगर (सामुदायिक भोजन)
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: बद्रीनाथ से 19 किलोमीटर आगे गंगोत्री धाम के रास्ते में स्थित है.
  • कैसे पहुंचे: बद्रीनाथ से गंगोत्री जाते समय गौमुख के रास्ते से हेमकुंड साहिब तक ट्रेक किया जा सकता है. टैक्सी भी उपलब्ध हो सकती है, पर रास्ता कठिन होने के कारण इसकी निश्चितता नहीं है.

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बद्रीनाथ में घूमने वाली जगह – Mana Village

यह बद्रीनाथ की महिमा धार्मिक यात्रा के साथ-साथ आसपास के गांवों की संस्कृति को जानने का भी अपना ही मजा था. इसी सिलसिले में बद्रीनाथ से कुछ दूर माणा गांव जाने का फैसला किया. कहते हैं ये भारत का आखिरी गांव है. पहाड़ों से घिरे इस गांव की खूबसूरती तो देखते ही बनती थी, पर असली मजा तो यहां के लोगों से बातचीत करने में आया. गांव के बुजुर्गों की कहानियां सुनकर पता चला कि कैसे वो इतनी ऊंचाई पर रहते हुए भी खुशहाल जीवन जीते हैं. गांव में घूमते हुए वहां के मकानों की बनावट और रंग-बिरंगे कपड़े पहने लोगों को देखना, एक अलग ही अनुभव था. माणा गांव की यात्रा ने बद्रीनाथ की मेरी यात्रा को अध्यात्म के साथ-साथ सांस्कृतिक अनुभव भी दे दिया.

बद्रीनाथ के पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • समय: हमेशा खुला रहता है
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: बद्रीनाथ से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है.
  • कैसे पहुंचे: बद्रीनाथ से टैक्सी या स्थानीय बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.

बद्रीनाथ में होटल – Hotels in Badrinath

यह बद्रीनाथ में आपके लिए कुछ होटल विकल्प:

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बद्रीनाथ मंदिर इतिहास – Badrinath Temple History

पौराणिक कथाएं:

  • शिव भूमि: पौराणिक कथाओं के अनुसार, बद्रीनाथ और आसपास का पूरा क्षेत्र पहले शिव भूमि (केदारखण्ड) के रूप में जाना जाता था।
  • गंगा नदी का अवतरण: जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो वह बारह धाराओं में बंट गई, और इस स्थान पर से होकर बहने वाली धारा अलकनन्दा के नाम से विख्यात हुई।
  • विष्णु का ध्यान: भगवान विष्णु ध्यानयोग के लिए उचित स्थान खोज रहे थे, और उन्हें अलकनन्दा के समीप यह स्थान बहुत भा गया।
  • नारायण का अवतार: नीलकंठ पर्वत के समीप भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतार लिया, और क्रंदन करने लगे।
  • नारद मुनि का आगमन: नारद मुनि ने भगवान विष्णु को शांत किया और उन्हें इस स्थान पर रहने का आशीर्वाद दिया।

मंदिर का निर्माण:

  • आदि शंकराचार्य: कहा जाता है कि 8वीं या 9वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना की थी।
  • प्राचीन मंदिर: कुछ लोगों का मानना ​​है कि मंदिर पहले से ही मौजूद था और शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था।
  • राजा शकuni: कहा जाता है कि राजा शकuni ने 16वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

बद्रीनाथ के पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

महत्व:

  • चार धामों में से एक: बद्रीनाथ मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक है, जो चार सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों का समूह है।
  • भगवान विष्णु को समर्पित: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं में से एक हैं।
  • काली पत्थर की मूर्ति: मंदिर में भगवान विष्णु की शालिग्राम मूर्ति है, जो काले पत्थर से बनी है।
  • धार्मिक महत्व: हिंदुओं का मानना ​​है कि बद्रीनाथ की यात्रा करने से मोक्ष प्राप्त होता है।

आज:

  • लोकप्रिय तीर्थ स्थल: बद्रीनाथ हर साल लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • चुनौतीपूर्ण यात्रा: बद्रीनाथ की यात्रा कठिन हो सकती है, क्योंकि यह ऊंचाई पर स्थित है और सड़कें खराब हो सकती हैं।
  • आधुनिक सुविधाएं: आजकल, बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों के लिए कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

बद्रीनाथ में प्रसिद्ध त्यौहार – Vishnu Kanwar Yatra

बद्रीनाथ की धार्मिक यात्रा सिर्फ दर्शनों और प्राकृतिक सौंदर्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यहां मनाए जाने वाले उत्सव भी यात्रा को यादगार बना देते हैं. इन उत्सवों में शामिल होने का मौका मिले तो आप खुद को खुशकिस्मत समझें! आइए, बद्रीनाथ के कुछ प्रसिद्ध त्योहारों के बारे में जानते हैं:

  • विष्णु कंवर यात्रा: हर साल जुलाई में होने वाली ये यात्रा भगवान विष्णु की प्रतिमा को बद्रीनाथ से शीतकालीन धाम जोशीमठ ले जाने का अनुष्ठान है. भक्त भक्तिभाव से झंडों और ढोल-नगाड़ों के साथ इस यात्रा में शामिल होते हैं.
  • माता मूर्ति का मेला: सितंबर महीने में मनाया जाने वाला ये मेला माता मूर्ति की पूजा के लिए जाना जाता है. किंवदंती के अनुसार, माता मूर्ति ने ही गंगा को धरती पर लाने में अहम भूमिका निभाई थी. इस दौरान मेले में खूब धूमधाम रहती है.

बद्रीनाथ कैसे पहुंचे – How to Reach Badrinath

बद्रीनाथ की यात्रा धार्मिक महत्व के साथ-साथ रोमांचकारी भी हो सकती है. आइए जानते हैं बद्रीनाथ तक पहुंचने के विभिन्न साधनों के बारे में:

1. सड़क मार्ग (Roadways):

अगर आप सड़क यात्रा के रोमांच का अनुभव लेना चाहते हैं, तो बद्रीनाथ तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे बेहतर विकल्प है. आप दिल्ली, हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से बस या टैक्सी किराए पर लेकर बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं.

  • समय: दिल्ली से बद्रीनाथ तक सड़क यात्रा लगभग 15-16 घंटे लेती है.
  • किराया: दिल्ली से बद्रीनाथ तक सरकारी बस का किराया लगभग ₹1,500 से ₹2,000 के बीच हो सकता है. वहीं, टैक्सी का किराया ₹8,000 से ₹10,000 के बीच तक जा सकता है, जो टैक्सी के प्रकार और यात्रियों की संख्या पर निर्भर करता है.

याद रखें: सड़क मार्ग चुनते समय मौसम का ध्यान रखें. बरसात के दिनों में भूस्खलन की संभावना रहती है.

2. हवाई मार्ग (Airways):

समय की कमी है? तो हवाई मार्ग आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. बद्रीनाथ का निकटतम हवाई अड्डा Jolly Grant Airport है, जो देहरादून में स्थित है. देहरादून से बद्रीनाथ तक सड़क मार्ग से लगभग 6-7 घंटे का सफर तय करना होता है.

  • समय: दिल्ली से देहरादून तक हवाई यात्रा लगभग 1- डेढ़ घंटे लेती है.
  • किराया: दिल्ली से देहरादून तक हवाई किराया ₹3,000 से ₹5,000 के बीच हो सकता है (किन्तु वास्तविक किराया एयरलाइंस और बुकिंग समय पर निर्भर करता है).

बद्रीनाथ के पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

3. रेलवे मार्ग (Railways):

अगर आप आरामदायक यात्रा पसंद करते हैं, तो ऋषिकेश निकटतम रेलवे स्टेशन है. ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक सड़क मार्ग से लगभग 5-6 घंटे का सफर लगता है.

  • समय: दिल्ली से ऋषिकेश तक रेल यात्रा लगभग 6-7 घंटे लेती है.
  • किराया: दिल्ली से ऋषिकेश तक रेलवे का किराया ट्रेन के प्रकार और श्रेणी के अनुसार अलग-अलग होता है. शताब्दी जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों का किराया अधिक हो सकता है, जबकि सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनों में किराया कम होता है.

निष्कर्ष – Conclusion

बद्रीनाथ धाम की यात्रा न सिर्फ आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कराती है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का भी खूबसूरत संगम है. उम्मीद है, इस लेख में बताई गई जानकारी आपकी बद्रीनाथ यात्रा को यादगार बनाने में सहायक होगी. हिमालय की गोद में बसा ये पवित्र धाम आपको अपनी ओर जरूर खींचेगा. तो देर किस बात की, बद्रीनाथ की यात्रा का कार्यक्रम बनाइए और निकल पड़िए आध्यात्मिक शांति और रोमांच की अविस्मरणीय अनुभव की यात्रा पर!

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बद्रीनाथ में पर्यटन स्थलों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q. बद्रीनाथ में क्या पहनें?

Ans. बद्रीनाथ में मौसम साल भर ठंडा रहता है, इसलिए गर्म कपड़े साथ ले जाना ज़रूरी है।

Q. बद्रीनाथ में क्या करें?

Ans. बद्रीनाथ में आप मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं, प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, साहसिक गतिविधियों में भाग ले

Q. बद्रीनाथ किस हिमालय में स्थित है?

Ans. यह उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे, 10,279 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ चार धामों में से एक है और भगवान विष्णु को समर्पित है।
गढ़वाल हिमालय हिमालय पर्वत की दक्षिणी श्रेणी है। यह यमुना नदी और गंगा नदी के बीच स्थित है।

Q. बद्रीनाथ में किसका मंदिर है?

Ans. बद्रीनाथ में भगवान विष्णु का मंदिर है।
यह मंदिर चार धाम में से एक है और हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
भगवान विष्णु को नारायण रूप में यहाँ पूजा जाता है।

Q. बद्रीनाथ जाने का सबसे अच्छा समय कब है?

Ans. मई से जून: यह बद्रीनाथ जाने का सबसे अच्छा समय है, जब मौसम सुखद होता है और तीर्थयात्रा के लिए मार्ग खुले होते हैं।
सितंबर से अक्टूबर: यह मानसून के बाद का मौसम है, जब भीड़ कम होती है और मौसम सुहावना होता है।

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