दक्षिण भारत के 10 सबसे प्रसिद्ध मंदिर | South Indian Temple
दक्षिण भारत अपने अद्भुत मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है, जहाँ आध्यात्मिकता, शानदार वास्तुकला और गहन ऐतिहासिक विरासत एक साथ मिलते हैं। ये South Indian Temple न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि प्राचीन भारतीय कला, संस्कृति और इंजीनियरिंग कौशल के जीवंत प्रमाण भी हैं। इस ब्लॉग में, हम दक्षिण भारत के 10 सबसे प्रसिद्ध मंदिरों का विस्तार से वर्णन करेंगे, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस मन्दिर में लोग देश ही नही बल्कि विदेशों से भी आते है, जिससे साल भर यहाँ पर्यटक का ताता लगा रहता है। आइये चलते हैं, दक्षिण भारत की यात्रा की ओर।
Table of Contents
1. मीनाक्षी अम्मन मंदिर, मदुरै (तमिलनाडु)
- यह South Indian Temple तमिलनाडु की सांस्कृतिक राजधानी मदुरै में स्थित है और देवी मीनाक्षी (पार्वती) को समर्पित है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण भगवान इंद्रदेव ने स्वयं करवाया था।
- इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था।
- मंदिर परिसर 14 गोपुरम (स्तंभ) से घिरा है, जिनमें से सबसे ऊँचा लगभग 52 मीटर ऊँचा है।
- इन गोपुरमों पर हजारों रंगीन मूर्तियाँ बनी हैं, जो हिंदू पौराणिक कथाओं को दर्शाती हैं।
- यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- और इसे विश्व के नए सात अजूबों की सूची में भी शामिल किया गया है।
- यहाँ भक्तों को प्रतिदिन मुफ्त भोजन की सुविधा प्रदान की जाती है।
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2. पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम (केरल)
- केरल की राजधानी में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु के पद्मनाभ (शेषशायी) स्वरूप को समर्पित है।
- यह विष्णु के 108 मंदिरों में से प्रमुख है। इसे भारत का दिव्य देसम भी कहा जाता है।
- दिव्य देसम भगवान विष्णु का पवित्र निवास स्थान है।
- यह त्रावणकोर के शाही परिवार द्वारा संचालित है। मंदिर की द्रविड़-केरल शैली की वास्तुकला अद्वितीय है।
- हाल के वर्षों में, मंदिर के गुप्त तहखानों से मिले अतुल्य भंडार ने इसे दुनिया भर में सुर्खियाँ दिलाईं।
- यह South Indian Temple केरल का एक प्रमुख धार्मिक प्रतीक है।
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3. तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश
- तिरुमला में स्थित यह South Indian Temple भगवान विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है।
- और दुनिया के सबसे अधिक देखे जाने वाले धार्मिक स्थलों में से एक है।
- माना जाता है कि यह पृथ्वी पर कलियुग के कष्टों और मुसीबतों से मानव जाती की रक्षा करने के लिये तिरुमला में निवास करते हैं।
- इसलिये इस स्थान को कलयुग वैकुण्ठ के नाम से भी जाना जाता है।
- मंदिर का गर्भगृह अनंद निलयम कहलाता है।
- प्रतिदिन हजारों भक्त अपने बाल मुंडवाकर भगवान को अर्पित करते हैं, जिसे तोंड कहा जाता है।
- वार्षिक ब्रह्मोत्सव और रथ यात्रा यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
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4. विरुपाक्ष मंदिर, हम्पी (कर्नाटक)
- हम्पी के खंडहरों में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह UNESCO विश्व धरोहर स्थल है।
- इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था और विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में इसका विस्तार किया गया।
- यह South Indian Temple विजयनगर स्थापत्य कला का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।
- मन्दिर की दीवारों पर 7वीं शताब्दी के शिलालेख भी मौजूद है जो उस समय के समृद्ध विरासत के प्रमाण को दिखातें हैं।
- हर साल यहाँ हम्पी उत्सव और विरुपाक्ष-पंपा विवाह धूमधाम से मनाया जाता है।
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5. बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर (तमिलनाडु)
- इसे बड़ा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह UNESCO विश्व धरोहर स्थल है।
- और चोल वंश के राजा राजराज चोल प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था।
- इसे पेरुवुटैयार कोविल भी कहते हैं।
- इस South Indian Temple की विशेषता इसका विशाल गर्भगृह और 66 मीटर ऊँचा विमान (गोपुरम) है,
- जो एक ही ग्रेनाइट पत्थर से बना है। यह अपनी भव्यता, वास्तुकला और केंद्रीय गुम्बद की वजह से पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।
- इस मन्दिर के निर्माण कला की ख़ास विशेषता यह भी है की इस गुम्बद की परछाईं जमीन पर नही पड़ती है।
- इस मन्दिर के शिखर पर स्वर्णकलश है। जिसे एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया है,
- जिसका अनुपात: 2200 टन है। मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का शिखर माना जाता है।
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6. श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु)
- श्रीरंगम में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु के रंगनाथ स्वरूप को समर्पित है।
- इस मन्दिर का निर्माण द्रविण शैली में किया गया है।
- यह दुनिया के सबसे बड़े कार्यशील हिंदू मंदिर परिसरों में से एक है, जो 156 एकड़ में फैला हुआ है।
- इसमें 21 गोपुरम, 81 मंदिर, 21 मीनारें और कई हॉल हैं।
- यह South Indian Temple 108 दिव्य देशमों में प्रमुख है और इसकी वार्षिक रथ यात्रा बहुत प्रसिद्ध है।
- यह विश्व में प्रतिष्ठित वैष्णव मंदिरों में से एक है।
- अनेक शिलालेखों से पता चलता है कि यह मन्दिर न केवल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता था।
- बल्कि एक प्रमुख आर्थिक और धर्मार्थ संस्था था जो शिक्षा और अस्पताल सुविधा संचालित करता था।
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7. सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर, केरल
- पथनामथिट्टा जिले में स्थित यह मंदिर भगवान अयप्पन को समर्पित है जिन्हें मणिकंदन नाम से भी जाना जाता है।
- और पश्चिमी घाट के घने जंगलों में स्थित है। यह दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक तीर्थ स्थलों में से एक है,
- जहाँ हर साल मंडल पूजा के दौरान 4-5 करोड़ श्रद्धालु आते हैं।
- इस South Indian Temple तक पहुँचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।
- और केवल विशेष नियमों (जैसे 41 दिन का व्रत) का पालन करने वाले भक्त ही दर्शन कर सकते हैं।
- सबरीमाला का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार मंडलम-मकरविलक्कु का मौसम है, जो 41 दिनों तक चलता है।
- और जनवरी के मध्य तक समाप्त होता है। इस समय भक्तों की भीड़ लाखों में होती है।
- इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण मकर ज्योति है।
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8. गोमतेश्वर मंदिर, श्रवणबेलगोला (कर्नाटक)
- यह जैन धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो 983 ईस्वी में बनाया गया था।
- यहाँ विश्व की सबसे बड़ी एक ही पत्थर से बनी मूर्ति, भगवान बाहुबली (गोमतेश्वर) की 57 फुट ऊँची मूर्ति स्थित है।
- प्रत्येक 12 साल में ‘महामस्तकाभिषेक’ का आयोजन होता है, जहाँ हज़ारों श्रद्धालु मूर्ति पर दूध, केसर, घी आदि चढ़ाते हैं।
- यह South Indian Temple (जैन) शांति और तपस्या का प्रतीक है।
- हर 12 साल में एक बार उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम दुनिया भर के जैन भक्तों को आकर्षित करता है।
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9. एकम्बरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम (तमिलनाडु)
- कांचीपुरम के पंच भूत स्थलों में से एक, यह मंदिर भगवान शिव (पृथ्वी तत्व) को समर्पित है।
- मान्यता है कि देवी पार्वती ने यहाँ पृथ्वी से बने लिंग की पूजा की थी।
- देवी पार्वती को यहाँ एलावर्कुझली के रूप में चित्रित किया गया है।
- यहाँ देवी पार्वती को इस South Indian Temple परिसर में एक प्राचीन आम का पेड़ है,
- जिसकी चार शाखाएँ अलग-अलग देवताओं को समर्पित हैं।
- 59 मीटर ऊँचा गोपुरम और 1000 स्तंभों वाला हॉल इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं।
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10. रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर, तमिलनाडु
- रामेश्वरम द्वीप पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और चार धामों में से एक है।
- मान्यता है कि भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी।
- इस South Indian Temple में दुनिया के सबसे लंबे मंदिर गलियारे हैं।
- और 22 पवित्र कुएँ हैं, जिनके जल को पवित्र माना जाता है।
- यह मंदिर हिंदुओं के लिए अत्यधिक महत्व रखता है।
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निष्कर्ष:
दक्षिण भारत के ये मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि ये प्राचीन भारत की वास्तुकला, मूर्तिकला, धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि के जीवंत केंद्र हैं। प्रत्येक South Indian Temple का अपना एक अनूठा इतिहास, पौराणिक महत्व और स्थापत्य शैली है। इन मंदिरों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि हमें भारत की गौरवशाली विरासत से भी रूबरू कराती है। यदि आप भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विविधता को समझना चाहते हैं, तो इन मंदिरों की यात्रा अवश्य करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर (श्रीशैलम) और तमिलनाडु में कैलाशनाथर मंदिर, कांचीपुरम को सबसे प्राचीन माना जाता है।
अक्टूबर से मार्च का समय आदर्श है। गर्मी (अप्रैल-जून) और भारी बारिश (जून-सितंबर) से बचें।
उत्तर: यह मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में स्थित है और इसे “साउंड एंड लाइट शो” तथा आकर्षक मूर्तिकारी के लिए जाना जाता है।
उत्तर: तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित यह मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है।
उत्तर: केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे दुनिया के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है।
प्रसाद आमतौर पर मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन के बाद वितरित किया जाता है (जैसे लड्डू, पोंगल)। कुछ मंदिरों में निःशुल्क भोजन (अन्नदान) भी मिलता है।
सामान्य दर्शन निःशुल्क है। स्पेशल/फास्ट ट्रैक दर्शन के लिए शुल्क लगता है (जैसे तिरुपति में 300 रुपये)। ऑनलाइन बुकिंग उपलब्ध है।
तमिलनाडु के श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर (156 एकड़) को सबसे बड़ा माना जाता है।
तिरुपति बालाजी (आंध्र प्रदेश) और पद्मनाभस्वामी मंदिर (केरल) दुनिया के सबसे धनी मंदिर हैं।
तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर (एक ही पत्थर से बना शिखर) और मदुरै का मीनाक्षी अम्मन मंदिर (रंगीन गोपुरम) वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं।