श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर | Visakhapatnam temple inside

श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर | Visakhapatnam temple inside
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श्री वराह लक्ष्मी, कल्पना कीजिए आप एक ऐसी पहाड़ी पर चढ़ रहे हैं, जहाँ एक तरफ़ नीले समुद्र का अनंत फैलाव है और दूसरी तरफ़ शहर का सुरम्य नज़ारा। चढ़ाई के अंत में आपको एक प्राचीन द्वार मिलता है। और जैसे ही आप अंदर कदम रखते हैं, आपको एहसास होता है कि आप सिर्फ़ एक मंदिर में नहीं, बल्कि एक दुर्लभ पौराणिक कथा के बीचोबीच खड़े हैं। यही है वह जादुई अनुभव, जो इस मंदिर की दहलीज़ पर आपका इंतज़ार कर रहा है।

इस आर्टिकल में आप जानेंगे:

  • वह दुर्लभ पौराणिक कथा जो इस मंदिर की नींव है।
  • कैसे एक स्थान पर तीन देवताओं की एक साथ होती है पूजा?
  • वह वैज्ञानिक आश्चर्य जो मंदिर के नीचे छिपा है।
  • दर्शन का सही समय और वह गुप्त प्रसाद जो स्वाद में अद्वितीय है।

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मंदिर का इतिहास और स्थापना:

श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर | Visakhapatnam temple inside
  • इस मंदिर की स्थापना का इतिहास काफी रोचक है।
  • मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना 10वीं-11वीं शताब्दी के आसपास हुई थी,
  • जब चोल और पूर्वी गंगा वंश के शासकों ने इसे कैलासगिरी पहाड़ियों पर बसाया था।
  • क्षेत्र में कई मंदिरों का भी निर्माण करवाया था।
  • हालांकि, वर्तमान मंदिर संरचना में समय-समय पर संशोधन और विस्तार किए गए हैं।
  • स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान विष्णु के तीनों अवतार – 
  • वराह (वराहावतार), लक्ष्मी (माता लक्ष्मी) और नरसिंह (नृसिंहावतार) – प्रकट हुए थे।
  • तीनों देवताओं की एक साथ उपस्थिति इस मंदिर को दुर्लभ और विशेष बनाती है।

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वास्तुकला और संरचना:

श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर | Visakhapatnam temple inside

यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही आपको एक भव्य गोपुरम (प्रवेश द्वार) दिखाई देता है, जो जटिल नक्काशी और रंगीन मूर्तियों से सजा हुआ है। मुख्य मंदिर के अंदर तीन गर्भगृह हैं, जिनमें से प्रत्येक में तीन देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

  1. श्री वराह स्वामी: भगवान विष्णु का वराह अवतार, जो हिरण्याक्ष नामक राक्षस का वध करने और पृथ्वी को उसके चंगुल से मुक्त कराने के लिए प्रकट हुए थे।
  2. श्री लक्ष्मी देवी: देवी लक्ष्मी, धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी, जो भगवान विष्णु की पत्नी हैं।
  3. श्री नरसिंह स्वामी: भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार, जो प्रह्लाद की रक्षा और हिरण्यकशिपु के वध के लिए प्रकट हुए थे।

श्री वराह लक्ष्मी मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर की गई नक्काशी दक्षिण भारतीय शिल्प कौशल का बेहतरीन नमूना है। इन नक्काशियों में पौराणिक कथाएं, देवी-देवताओं के चित्र और विभिन्न कलात्मक डिजाइन शामिल हैं।

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धार्मिक महत्व और पौराणिक कथाएं:

त्रिदेव अवतार का संगम

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दस अवतारों का वर्णन है, लेकिन एक ही स्थान पर तीन अवतारों का एक साथ विराजमान होना अत्यंत दुर्लभ है। यह त्रयी भक्तों को एक साथ तीन दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद प्रदान करती है:

  • वराह अवतार: पृथ्वी की रक्षा और स्थिरता का प्रतीक
  • लक्ष्मी देवी: धन, समृद्धि और आध्यात्मिक संपदा का प्रतीक
  • नरसिंह अवतार: भक्त की रक्षा और बुराई के विनाश का प्रतीक

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मुख्य पौराणिक कथा:

श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर | Visakhapatnam temple inside
वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद की रक्षा के बाद अपना क्रोध शांत किया था। कहा जाता है कि जब भगवान नरसिंह हिरण्यकशिपु का वध करने के बाद भी क्रोध में थे, तब देवी लक्ष्मी और भगवान वराह ने उन्हें शांत करने के लिए इस स्थान पर प्रकट होकर उनका सानिध्य दिया। तभी से यह त्रयी इस स्थान पर विराजमान है।

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मंदिर में दैनिक पूजा कार्यक्रम नियमित रूप से चलते हैं:

  • सुबह 5:30 बजे: मंदिर खुलना, सुबह की आरती
  • दोपहर 12:00 बजे: मध्याह्न पूजा
  • शाम 6:00 बजे: संध्या आरती
  • रात 8:30 बजे: मंदिर बंद होना

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विशेष उत्सव:

  1. ब्रह्मोत्सवम: हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में आयोजित होने वाला यह उत्सव मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण आयोजन है। इस दौरान देवताओं की शोभायात्रा निकाली जाती है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
  2. नरसिंह जयंती: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान नरसिंह के प्रकट होने की कथा सुनाई जाती है और विशेष हवन किया जाता है।
  3. वराह जयंती: भगवान वराह के प्रकट होने का दिन, जिसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
  4. दीपावली और अन्य हिंदू त्यौहार: दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा जन्माष्टमी, वैकुंठ एकादशी आदि त्यौहार भी यहां उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं।

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आध्यात्मिक अनुभव और विशेषताएं:

त्रिविध आशीर्वाद

  • भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में आने से तीन प्रकार के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं:
  • भौतिक समृद्धि (देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद)
  • सुरक्षा और निर्भयता (भगवान नरसिंह का आशीर्वाद)
  • स्थिरता और संतुलन (भगवान वराह का आशीर्वाद)

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मंत्र और प्रार्थनाएं

मंदिर में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है:

  • वराह मंत्र: “ॐ वराहाय नमः”
  • लक्ष्मी मंत्र: “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
  • नरसिंह मंत्र: “ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥”

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मंदिर परिसर की अन्य विशेषताएं:

सरोवर और प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर के पास एक पवित्र सरोवर है, जहां भक्त स्नान करके पवित्र होते हैं। मंदिर परिसर हरे-भरे पेड़-पौधों से घिरा हुआ है, जो शांति और सुकून का अहसास कराता है।

अन्य छोटे मंदिर: मुख्य मंदिर के अलावा, परिसर में भगवान गणेश, हनुमान जी और नवग्रहों के छोटे मंदिर भी हैं।

ध्यान और योग केंद्र: श्री वराह लक्ष्मी मंदिर परिसर में एक शांत क्षेत्र है जहां भक्त ध्यान और योग कर सकते हैं। कई लोग यहां आकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं।

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मंदिर जाने के लिए उपयोगी जानकारी:

समय और ऋतु: मंदिर साल भर खुला रहता है, लेकिन अक्टूबर से मार्च का समय यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है।

कैसे पहुंचें

  • हवाई मार्ग: विशाखापट्टनम हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 20 किमी दूर है।
  • रेल मार्ग: विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन मंदिर के काफी नजदीक है।
  • सड़क मार्ग: शहर के विभिन्न हिस्सों से बस और ऑटो रिक्शा आसानी से उपलब्ध हैं।

आसपास के दर्शनीय स्थल:

मंदिर के आसपास कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं:

  • सिम्हाचलम मंदिर
  • रामकृष्ण मिशन बीच
  • कैलासगिरी
  • बोर्रा गुफाएं
  • अराकू घाटी

सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान:

श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केंद्र है। मंदिर प्रशासन द्वारा नियमित रूप से:

  • निःशुल्क भोजन सेवा (अन्नदान)
  • गरीब छात्रों को शिक्षा सहायता
  • चिकित्सा शिविरों का आयोजन
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन संध्या

निष्कर्ष:

श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर केवल पत्थरों और मूर्तियों का समूह नहीं है, बल्कि यह आस्था, इतिहास, कला और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। यह मंदिर भक्तों को यह संदेश देता है कि ईश्वर के विभिन्न रूप अंततः एक ही परम सत्ता की अभिव्यक्ति हैं। तीन अलग-अलग अवतारों का एक साथ दर्शन करने से भक्त को जीवन के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं – धन, सुरक्षा और स्थिरता – का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

विशाखापट्टनम आने वाले हर पर्यटक और श्रद्धालु के लिए यह मंदिर एक अनिवार्य दर्शनीय स्थल है। यहां की दिव्य ऊर्जा और शांत वातावरण मन को अद्भुत शांति प्रदान करते हैं। चाहे आप आध्यात्मिकता की तलाश में हों, ऐतिहासिक स्थल देखने के शौकीन हों, या फिर सिर्फ शहर के शोर-शराबे से दूर कुछ पल शांति से बिताना चाहते हों, यह मंदिर आपके लिए एक आदर्श स्थान है।

दर्शन का समय: प्रातः 5:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और दोपहर 4:00 बजे से रात 8:30 बजे तक

विशेष सुझाव: त्योहारों के दिनों में भीड़ अधिक होती है, इसलिए यदि आप शांतिपूर्वक दर्शन करना चाहते हैं तो सामान्य दिनों में आएं। मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है, इसलिए कैमरा साथ न लाएं।

इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से आपके विजाग प्रवास को यादगार बना देगी और आप आध्यात्मिक ऊर्जा से संचारित होकर वापस लौटेंगे।

 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. मंदिर कहाँ स्थित है?

मंदिर आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम (विजाग) शहर में स्थित है।

2. मंदिर किस देवता को समर्पित है?

यह मंदिर भगवान विष्णु के तीन रूपों – वराह, लक्ष्मी और नरसिंह को समर्पित है।

3. मंदिर के खुलने का समय क्या है?

मंदिर सुबह 5:30 बजे खुलता है और दोपहर 12:00 बजे बंद होता है। दोपहर 4:00 बजे से रात 8:30 बजे तक फिर खुला रहता है।

4. मंदिर में प्रवेश शुल्क है?

नहीं, मंदिर में प्रवेश पूरी तरह निःशुल्क है।

5. मंदिर का मुख्य त्योहार कौन सा है?

मंदिर का मुख्य त्योहार ‘ब्रह्मोत्सवम’ है जो हर साल मार्च-अप्रैल में मनाया जाता है।

6. मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है?

नहीं, मंदिर के अंदर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं है।

7. निकटतम रेलवे स्टेशन कौन सा है?

विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन मंदिर के सबसे निकट है।

8. क्या मंदिर में विशेष पूजा करवाई जा सकती है?

हाँ, मंदिर प्रशासन से संपर्क कर विशेष पूजा आयोजित करवाई जा सकती है।

9. मंदिर के आसपास अन्य दर्शनीय स्थल कौन से हैं?

सिम्हाचलम मंदिर, रामकृष्ण मिशन बीच और कैलासगिरी मुख्य आकर्षण हैं।

10. मंदिर में कौन सी विशेष सेवाएं उपलब्ध हैं?

मंदिर में अन्नदान (मुफ्त भोजन), पार्किंग और शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध है।

















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