हरिद्वार, “हर की पौड़ी” के लिए प्रसिद्ध, हिमालय की तलहटी में स्थित एक ऐसा शहर है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरिद्वार सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि रोमांचक यात्रा और प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना भी है? आइए, इस लेख में हम हरिद्वार में घूमने की जगह की उन बेहतरीन जगहों के बारे में जानते हैं, जो आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बना देंगी.
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हरिद्वार के दर्शनीय स्थल – हर की पौड़ी (Har ki Pauri)
बचपन से ही मैंने तस्वीरों में हर की पौड़ी की शामें देखी हैं. दीपों की जगमगाहट के बीच गंगा आरती का नजारा ऐसा लगता था, मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो. फिर पिछले साल मुझे खुद हरिद्वार जाने का मौका मिला. और असल में देखना, तस्वीरों से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत था. हर की पौड़ी की सीढ़ियों पर बैठकर गंगा मइया के पवित्र जल को छूना, आरती की ऊँची ध्वनि को सुनना, ये अनुभव शब्दों में बयान नहीं किए जा सकते. हरिद्वार में घूमने का जगह जाने का प्लान बना रहे हैं, तो यकीन मानिए, हर की पौड़ी वो जगह है, जहां जाना बिल्कुल ना भूलें.
- समय (Timings): सुबह 5:30 बजे आरती के साथ खुलता है, शाम 7:00 बजे आरती के बाद बंद होता है (समय थोड़ा बहुत बदल सकता है)
- प्रवेश शुल्क (Entry Fee): निःशुल्क
- स्थान (Location): हरिद्वार, उत्तराखंड
- कैसे पहुंचे (How to Reach): हरिद्वार रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से टैक्सी या रिक्शा द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
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हरिद्वार के प्रमुख मंदिर – मांसा देवी मंदिर -(Mansa Devi Temple)
आइए अब जानते हैं हरिद्वार में घूमने का जगह की यात्रा अधूरी ही रहती है अगर आपने मांसा देवी मंदिर के दर्शन ना किए हों. बचपन की कहानियों में सुनते थे कि पहाड़ों पर विराजमान हैं मांसा देवी, जो हर मनोकामना को पूरा करती हैं. इस बार हरिद्वार जाने पर मैंने ठानी कि मां के दर्शन ज़रूर करूँ. मंदिर तक पहुंचने के लिए मनसा देवी मंदिर रोपवे लिया. ऊपर जाते समय नीचे बहती गंगा मइया और हरिद्वार का पूरा नज़ारा देखते हुए ऐसा लगा मानो आसमान में उड़ रहे हों. मंदिर पहुंचकर मां के दर्शन किए और मन में गुप्त मनोकामना मांगी. मंदिर से लौटते हुए मन में एक अजीब सी शांति थी, मानो मां ने सारी चिंताएं हर ले ली हों. आप भी हरिद्वार घूमने जाएं, तो मांसा देवी मंदिर ज़रूर जाएं.
- समय (Timings): सुबह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे (दिन के समय)
- प्रवेश शुल्क (Entry Fee): निःशुल्क
- स्थान (Location): बिलवा तीर्थ, हरिद्वार, उत्तराखंड
- कैसे पहुंचे (How to reach): हरिद्वार से मansa देवी रोपवे के ज़रिए या फिर टैक्सी किराए पर लेकर पहुंचा जा सकता है.
हरिद्वार में घूमने लायक स्थान – नीलकंठ महादेव मंदिर(Neelkanth Mahadev Temple)
हरिद्वार की धार्मिक यात्रा अधूरी ही मानी जाती है अगर आपने नीलकंठ महादेव के दर्शन ना किए हों. बचपन से ही कहानियों में सुनता था कि नीलकंठ महादेव 3500 फीट ऊंची स्वर्ग आश्रम की चोटी पर विराजमान हैं. उनको ये विष पीने के कारण नीलकंठ कहा जाता है. इस बार हरिद्वार में घूमने का जगह जाने का plan बनाते समय मैंने ठाना था कि इस बार नीलकंठ महादेव के दर्शन ज़रूर करूंगा. मंदिर तक पहुंचने के लिए मैंने रोपवे का रास्ता चुना. ऊपर जाते वक्त नीचे गंगा मां का प्रवाह और हरिद्वार का पूरा नजारा देखते हुए ऐसा लगा मानो आसमान में उड़ान भर रहा हूं.
मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के दर्शन किए और मन में उनके प्रति श्रद्धाभाव जगा. वहां का वातावरण शांत और पवित्र था. वापसी में मन में एक असीम सुकून था, मानो भगवान शिव ने सारी चिंताएं दूर कर दी हों. आप भी हरिद्वार घूमने जाएं तो नीलकंठ महादेव मंदिर जाना ना भूलें, ये अनुभव आपको जीवनभर याद रहेगा.
- समय (Timings): सुबह 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे (दिन के समय)
- प्रवेश शुल्क (Entry Fee): निःशुल्क
- स्थान (Location): स्वर्ग आश्रम, ऋषिकेश के पास, उत्तराखंड
- कैसे पहुंचे (How to Reach): हरिद्वार से रोड या रिवर राफ्टिंग के ज़रिए ऋषिकेश पहुंचा जा सकता है. वहां से टैक्सी या रोपवे द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.
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हरिद्वार के पर्यटन स्थल – चंडी देवी मंदिर (Chandi Devi Temple)
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हरिद्वार में घूमने का कोई भी प्लान अधूरा रह जाता है अगर आपने चंडी देवी मंदिर के दर्शन नहीं किए. बचपन में स्कूल की किताबों में पढ़ा था कि नीलपर्वत पर स्थित हैं मां चंडी, जो हर विघ्न को दूर करती हैं. इस बार हरिद्वार जाने पर मैंने मन बना लिया था कि मां चंडी के दर्शन ज़रूर करूंगा. मंदिर तक पहुंचने के लिए मैंने पैदल रास्ता चुना. पहाड़ों के बीच से होते हुए रास्ते में कई छोटे-छोटे मंदिर और गुफाएं देखने को मिलीं. जंगल की हवा में बहती खुशबू और पंछियों की मीठी आवाज़, ये सफर वाकई मनमोहक था.
मंदिर पहुंचकर मां के दर्शन किए और मन में चल रही उलझनों को दूर करने की प्रार्थना की. ऊपर से पूरे हरिद्वार का नज़ारा देखते हुए ऐसा लगा मानो सारी दुनिया मेरे पैरों तले सिमटी हुई हो. अगर आप भी हरिद्वार में घूमने का जगह जाएं, तो चंडी देवी मंदिर जाना ना भूलें, ये शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से सुखद अनुभव होगा.
- समय (Timings): सुबह 5:30 बजे से शाम 7:30 बजे (दिन के समय)
- प्रवेश शुल्क (Entry Fee): निःशुल्क
- स्थान (Location): नील पर्वत, हरिद्वार, उत्तराखंड
- कैसे पहुंचे (How to reach): हरिद्वार से जीप या टैक्सी किराए पर लेकर या फिर पैदल रास्ते से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.
हरिद्वार में घूमने की जगह – पतंजलि योग पीठ (Patanjali Yoga Peeth)
हरिद्वार की धार्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में भी जाना जाता है. इस बार की यात्रा में मैंने पतंजलि योग पीठ जाने का फैसला किया. बचपन से दादी-नानी योग के फायदों के बारे में बताती थीं, तो मन में एक जिज्ञासा थी कि आखिर ये योग कैसे सीखा जाता है. पतंजलि योग पीठ पहुंचकर वातावरण बहुत ही शांत और सकारात्मक लगा. वहां योग गुरुओं द्वारा आसन और प्राणायाम सिखाए जा रहे थे.
मैंने भी कुछ आसान सीखने की कोशिश की और शरीर में एक नई तरह की ऊर्जा का अनुभव हुआ. साथ ही योग के फायदों के बारे में भी गुरु जी से विस्तार से बातचीत हुई. पतंजलि योग पीठ की यात्रा ने मुझे ये एहसास दिलाया कि स्वस्थ रहने के लिए योग कितना जरूरी है. अगर आप भी हरिद्वार में घूमने का जगह जा रहे हैं तो पतंजलि योग पीठ जरूर जाएं, ये अनुभव आपको निरोगी रहने के लिए प्रेरित करेगा.
- समय (Timings): सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे (दिन के समय)
- प्रवेश शुल्क (Entry Fee): निःशुल्क
- स्थान (Location): मंझनपुर, हरिद्वार, उत्तराखंड
- कैसे पहुंचे (How to Reach): हरिद्वार से रिक्शा या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
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हरिद्वार के आसपास घूमने की जगह – अभयपुरी (Abhaypuri)
हरिद्वार की आध्यात्मिक यात्रा के दौरान मुझे एक ऐसी जगह का पता चला, जिसने मेरी पूरी यात्रा को एक अलग ही आयाम दे दिया. वो जगह थी अभयपुरी. बचपन में दादा जी ने बताया था कि हरिद्वार में ऋषियों-मुनियों का निवास हुआ करता था, और उन्हीं में से एक थे स्वामी अभयानंद. उन्हीं के नाम पर बसाई गई है ये अभयपुरी. यहां पहुंचते ही चारों तरफ शांति का ऐसा वातावरण था, मानो वक्त थम गया हो. पेड़ों के नीचे ध्यान लगाते हुए साधु-संत देखने को मिले. वहां के पुस्तकालय में मैंने प्राचीन ग्रंथों को देखा और थोड़े समय के लिए भी वहां बैठना किसी ध्यान से कम नहीं था. मन को अजीब सी शांति मिली. अगर आप भी हरिद्वार में हैं और थोड़ा हटकर अनुभव लेना चाहते हैं, तो अभयपुरी जरूर जाएं. ये जगह आपको आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देगी.
समय (Timings): सुबह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे (दिन के समय)
प्रवेश शुल्क (Entry Fee): निःशुल्क
स्थान (Location): क्लेमेन्ट चौक के पास, हरिद्वार, उत्तराखंड
कैसे पहुंचे (How to Reach): हरिद्वार बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से रिक्शा या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
हरिद्वार के पास घूमने की जगह – दक्षेश्वर महादेव मंदिर (Daksheshwar Mahadev Temple)
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हरिद्वार घूमने जाएं तो दक्षेश्वर महादेव मंदिर दर्शन के लिए ज़रूर वक्त निकालें. बचपन की कथाओं में सुना था कि दक्ष प्रजापति की यज्ञ-स्थली यहीं हुआ करती थी, और उसी यज्ञ में माता सती ने अपने प्राण त्यागे थे. इस बार हरिद्वार जाने पर मैंने इसी पौराणिक स्थल के दर्शन करने का प्रण किया. मंदिर कनखल में स्थित है, जो हरिद्वार से कुछ ही किलोमीटर दूर है. मंदिर प्राचीन शैली में बना हुआ है और वहां का वातावरण शांत और भक्तिमय था. जलाभिषेक करने के बाद मन में एक असीम शक्ति का अनुभव हुआ. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. अगर आप भी हरिद्वार की धार्मिक यात्रा पर निकल रहे हैं, तो दक्षेश्वर महादेव मंदिर ज़रूर जाएं. यहां का अनुभव आपको इतिहास और धर्म से जोड़ देगा.
- समय (Timings): सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे (दिन के समय)
- प्रवेश शुल्क (Entry Fee): निःशुल्क
- स्थान (Location): कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड
- कैसे पहुंचे (How to Reach): हरिद्वार से रिक्शा या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
हरिद्वार में घूमने की जगह – हरिद्वार संग्रहालय (Haridwar Museum)
इतिहास और कला के दीवाने हैं तो हरिद्वार में घूमने का कोई भी प्लान हरिद्वार संग्रहालय के बिना अधूरा सा रह जाएगा. बचपन में दादी मां कहानियों के ज़रिए इतिहास के बारे में बताती थीं, तो मन में ये ख्याल हमेशा रहता था कि आखिर वो चीज़ें कैसी दिखती होंगी. इस बार हरिद्वार ट्रिप पर मैंने फैसला किया कि संग्रहालय जाकर अपनी जिज्ञासा शांत करूंगा. संग्रहालय में दाखिल होते ही प्राचीन मूर्तियों, हथियारों और औजारों ने मानो मुझे अतीत में ले जा पहुंचाया. वहां मौजूद हर चीज़ इतिहास के एक अलग अध्याय को बयां कर रही थी. संग्रहालय में गंगा की पवित्रता को दर्शाती कलाकृतियां मुझे खास तौर पर पसंद आईं. ये यात्रा वाकई ज्ञानवर्धक रही. अगर आप भी हरिद्वार घूमने जा रहे हैं और इतिहास और कला में रुचि रखते हैं, तो हरिद्वार संग्रहालय जरूर जाएं.
- समय (Timings): सुबह 10:30 बजे से शाम 5:00 बजे (सोमवार बंद)
- प्रवेश शुल्क (Entry Fee): ₹15 (भारतीयों के लिए) और ₹100 (विदेशियों के लिए)
- स्थान (Location): क्लिमेन्ट चौक के पास, हरिद्वार, उत्तराखंड
- कैसे पहुंचे (How to Reach): हरिद्वार बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से रिक्शा या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
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हरिद्वार में सस्ते होटल – Cheap hotels in Haridwar in Hindi
अब आइए देखते हैं हरिद्वार में कुछ बिजनेस होटल:
- होटल आरके आईएनएन – ₹650 प्रति रात। 4.3 स्टार रेटिंग वाला यह होटल एक लोकप्रिय विकल्प है।
- होटल सिटी पार्क हरिद्वार – ₹784 प्रति रात। 3.7 सितारा रेटिंग वाला यह होटल शहर के केंद्र में स्थित है।
- होटल भाटिया इन – ₹870 प्रति रात। 3.6 स्टार रेटिंग वाला यह होटल मुफ़्त ऑफर करता है।
- होटल क्वीन – ₹924 प्रति रात। 3.6 स्टार रेटिंग वाला यह होटल लॉबी अनलॉक और मुफ़्त पोस्ट ऑफ़र करता है।
- होटल गंगा पैलेस – ₹975 प्रति रात्रि। 3.4 सितारा रेटिंग वाला यह होटल गंगा नदी के किनारे स्थित है।
हरिद्वार में प्रसिद्ध त्यौहार – कुंभ मेले (Kumbh Mela)
एक दिलचस्प बात यह है कि हरिद्वार की धार्मिक यात्रा का ज़िक्र हो और वहां के मशहूर कुंभ मेले का ना हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. बचपन से ही दादा जी इस मेले के बारे में कहानियां सुनाते थे, कैसे हर 3 साल में हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में बारी-बारी से कुंभ का आयोजन होता है. इस बार जब कुंभ का महापर्व आया तो मैंने हरिद्वार जाने का पक्का इरादा कर लिया. लाखों की संख्या में देश-विदेश से आए साधु-संतों को देखना, संगम में आस्था की डुबकी लगाना, ये अनुभव शब्दों में बयां नहीं किए जा सकते.
हर जगह सिर्फ “हर हर महादेव” के जयकारे गूंज रहे थे. कुंभ मेले ने मुझे ये एहसास दिलाया कि आस्था का कोई रंग, कोई नहीं होता. अगर आप भी कभी हरिद्वार घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो कोशिश करें कि कुंभ मेले के दौरान वहां ज़रूर पहुंचें. ये अनुभव आपको जीवन भर याद रहेगा.
हरिद्वार कैसे पहुंचे: धर्म और पहाड़ों का संगम
जैसा कि हमने देखा हरिद्वार की यात्रा का सपना मन में रखते हैं तो वहां पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं. आइए, हर मार्ग के बारे में विस्तार से जानते हैं:
- रेलवे (Railways): रेलवे यात्रा का सुख लेना चाहते हैं तो हरिद्वार रेलवे स्टेशन (Haridwar Railway Station) आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है. देश के कई प्रमुख शहरों से हरिद्वार के लिए सीधी ट्रेनें चलती हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली से हरिद्वार के लिए जन शताब्दी एक्सप्रेस (Jan Shatabdi Express) से लगभग 4-5 घंटे और 500 रुपये से कम में पहुंचा जा सकता है. वहीं अगर आप कोलकाता से आ रहे हैं तो आपको लगभग 18 घंटे लगेंगे और टिकट की कीमत 1000 रुपये से ज्यादा हो सकती है.
- रोडवेज (Roadways): सड़क मार्ग से यात्रा का रोमांच पसंद है तो हरिद्वार पहुंचने के लिए बस यात्रा एक अच्छा विकल्प है. हरिद्वार देश के कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. दिल्ली से हरिद्वार के लिए लगातार बसें चलती हैं और सफर में लगभग 6-7 घंटे लगते हैं. किराया 300 रुपये से शुरू होता है. आप अपने बजट और सुविधा के हिसाब से एसी या नॉन-एसी बस चुन सकते हैं.
- एयरवेज (Airways): अगर आप जल्दी से हरिद्वार पहुंचना चाहते हैं तो हवाई जहाज का विकल्प चुन सकते हैं. निकटतम हवाई अड्डा देहरादून (Dehradun) में स्थित जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (Jolly Grant Airport) है. हवाई अड्डे से हरिद्वार लगभग 35 किलोमीटर दूर है. आप वहां से टैक्सी या रिक्शा लेकर हरिद्वार पहुंच सकते हैं. हवाई यात्रा थोड़ी महंगी जरूर होती है, लेकिन समय की बचत होती है.
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निष्कर्ष – Conclusion
हरिद्वार धर्म, आध्यात्म और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है. उम्मीद है इस लेख ने आपको हरिद्वार घूमने के लिए प्रेरित किया होगा. चाहे आप गंगा आरती का पवित्र अनुभव लेना चाहते हों, प्राचीन मंदिरों में दर्शन करना चाहते हों, या हिमालय की तलहटी में ट्रैकिंग का आनंद लेना चाहते हों, हरिद्वार में आपके हर तरह के लिए कुछ न कुछ जरूर है. तो देर किस बात की, आज ही हरिद्वार जाने की योजना बनाइए और आस्था, रोमांच और इतिहास से भरपूर यात्रा का अनुभव लीजिए!
हरिद्वार में घूमने की जगह के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Ans. हरिद्वार में कई प्रसिद्ध मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं:
हर की पौड़ी: यह गंगा नदी का सबसे पवित्र घाट है, जहाँ हर शाम भव्य गंगा आरती का आयोजन होता है।
चंडी देवी मंदिर: यह देवी चंडी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जो मां दुर्गा का रूप हैं।
मनसा देवी मंदिर: यह देवी मनसा को समर्पित एक मंदिर है, जिन्हें नागों की देवी माना जाता है।
Ans. गंगा आरती: हर शाम हर की पौड़ी घाट पर होने वाली भव्य गंगा आरती देशभर में प्रसिद्ध है।
मंदिर: हरिद्वार मंदिरों का शहर है, जिनमें चंडी देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर, माया देवी मंदिर, कनखल, पिरान कलियर और शांतिकुंज शामिल हैं।
कुंभ मेला: हर 12 साल में हरिद्वार में कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है।
Ans. प्रेम नगर आश्रम: यह आश्रम गरीबों और आवश्यकता वालों को आश्रय और भोजन प्रदान करता है। आश्रम में ठहरने और भोजन की व्यवस्था मुफ्तहै।
Ans. क्षेत्रफल के आधार पर, भारत माता मंदिर को अक्सर सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। यह 42 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली मूर्तियाँ हैं।
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