Top 10] देवप्रयाग में जाने की जगह | Places to visit in Devprayag in Hindi
उत्तराखंड की पवित्र भूमि में बसा देवप्रयाग, हिमालय से निकलने वाली भागीरथी और अलकनंदा नदियों के संगम के लिए प्रसिद्ध है। यह संगम देवप्रयाग कहलाता है, जहाँ ये दोनों पवित्र नदियाँ मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं। धार्मिक महत्व के साथ-साथ, देवप्रयाग प्राकृतिक सौन्दर्य से भी भरपूर है। यहाँ आप हिमालय की ऊंची चोटियों, नदियों के संगम के मनोरम दृश्य और प्राचीन मंदिरों का दर्शन कर सकते हैं। तो आइए, इस लेख में हम देवप्रयाग में जाने की जगह के बारे में जानते हैं।
Table of Contents
1. देवप्रयाग क्यों प्रसिद्ध है – Why is Devprayag famous in Hindi
देवप्रयाग, उत्तराखंड में स्थित एक पवित्र तीर्थस्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान जहां अलकनंदा और भागीरथी नदियां मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं, उसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।
यहां प्रसिद्ध होने के कुछ मुख्य कारण हैं:
- पवित्र संगम: देवप्रयाग को “तीर्थराज” का दर्जा प्राप्त है, जो इसे हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक बनाता है।
- धार्मिक महत्व: यहां भगवान विष्णु, शिव और राम के मंदिर हैं।
- प्राकृतिक सुंदरता: देवप्रयाग हिमालय की तलहटी में स्थित है, जो लुभावने दृश्यों और शांत वातावरण प्रदान करता है।
- साहसिक गतिविधियां: यहां राफ्टिंग, ट्रेकिंग और कैंपिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों का आनंद लिया जा सकता है।
- स्थानीय संस्कृति: देवप्रयाग अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है।
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2. देवप्रयाग के दर्शनीय स्थल – Triveni Ghat
- बचपन से ही हम सबने ये सुना है कि तीन धारा, संगम होता है।
- देवप्रयाग में जाने की जगह में संगम मौजूद देवप्रयाग के रहस्य ऐसा ही एक पवित्र संगम स्थल है,
- जहाँ भागीरथी और अलकनंदा नदियां मिलकर गंगा को जन्म देती हैं।
- घाट की सीढ़ियाँ मां गंगा में डुबकी लगाने के लिए बनी हैं, और हर साल हजारों श्रद्धालु यहां स्नान करने आते हैं।
- माना जाता है कि त्रिवेणी घाट में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सुबह सूर्योदय के समय घाट का नजारा अविस्मरणीय होता है, जब सूर्य की किरणें पवित्र जल को चमका देती हैं।
- त्रिवेणी घाट की यात्रा देवप्रयाग आने वाले किसी भी यात्री के लिए जरूरी है।
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देवप्रयाग में जाने के महत्वपूर्ण बिंदु
- Timings: 6 am to 7 pm
- Entry Fee: Free
- Location: Devprayag, near the main market
- How to reach: Triveni Ghat can be reached in a few minutes on foot from the Devprayag bus stand.
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3. देवप्रयाग में प्रसिद्ध मंदिर – Radha-Krishna Temple
- बचपन से ही भगवान राधा-कृष्ण की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं हम सभी।
- उनकी प्रेम कहानी, उनकी लीलाएं, ये सब हमारे दिलों में बस चुकी हैं।
- देवप्रयाग में जाने की जगह आएं तो यहां के राधा-कृष्ण मंदिर में जरूर दर्शन करें।
- पहाड़ों की गोद में बसा ये मंदिर न सिर्फ खूबसूरत है बल्कि यहां का शांत वातावरण मन को असीम सुकून देता है।
- मंदिर के अंदर राधा-कृष्ण की मनमोहक मूर्तियां हैं, जिन्हें देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
- ऐसा लगता है मानो राधा-कृष्ण खुद सामने खड़े हों।
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- Time: 7 am to 7 pm
- Entry fee: Free
- Location: About 2 km from the main market of Devprayag
- How to reach: You can reach the temple on foot or by taxi.
4. देवप्रयाग के पर्यटन स्थल – Vasishtha Cave
- बचपन की कहानियों में सुनते आए ऋषि-मुनियों के रहस्यमयी गुफाओं का जिक्र,
- देवप्रयाग में जाने की जगह में भी ऐसा ही एक अनुभव आप ले सकते हैं वशिष्ठ गुफा में।
- भागीरथी और अलकनंदा के संगम के ठीक ऊपर स्थित ये गुफा मानो पहाड़ों के सीने में छिपी हुई है।
- कहते हैं महर्षि वशिष्ठ यहीं तपस्या किया करते थे। अंदर जाने पर आपको शांत और अध्यात्मिक वातावरण मिलेगा।
- प्राकृतिक रूप से बनी ये गुफा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि रोमांच पसंद करने वालों को भी अपनी ओर खींचती है।
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देवप्रयाग में जाने की जगह के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- Time: 6 am to 6 pm
- Entry fee: Free
- Location: Devprayag, near Sangam
- How to reach: The cave can be reached by taxi or rickshaw from the main market of Devprayag.
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5. देवप्रयाग के पास पर्यटन स्थल – Dharnidhar Waterfall
- इसी सिलसिले में देवप्रयाग की धार्मिक और प्राकृतिक छटा के बीच में अगर आप थोड़ा साहसिक स्पर्श चाहते हैं,
- तो धरणीधर झरना आपके लिए एकदम सही जगह है।
- पहाड़ों से घिरा हुआ यह खूबसूरत झरना आपको भीषण गर्मी से राहत दिलाने और
- प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
- तेज़ धारा वाला यह झरना जंगल के बीच से निकलता है और नीचे एक चट्टानी कुंड में गिरता है।
- देवप्रयाग में जाने की जगह पानी की शीतल धाराओं में डुबकी लगाने
- और आसपास के हरे भरे जंगल की ताज़ा हवा में सांस लेने से आपकी सारी थकान मिट जाएगी।
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- Timings: 9 am to 5 pm
- Entry fee: Free
- Location: Around 6 km from Devprayag
- How to reach: From Devprayag, you can take a taxi or a local bus to reach Dharnidhar Falls. You may have to walk a little to reach the waterfall.
6. उत्तराखंड में करने के लिए चीजें – Trekking
- बचपन में हम सबने कहानियाँ सुनी हैं, ऋषियों-मुनियों के तपस्या करने और कठिन रास्तों पर चलने की।
- देवप्रयाग में जाने की जगह की यात्रा पर कुछ ऐसा ही अनुभव प्राप्त होता है।
- यहाँ के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और घने जंगल मानो हमें बुलावा देते हैं, प्रकृति की गोद में खो जाने का।
- देवप्रयाग में ट्रेकिंग का अपना ही अलग मजा है।
- पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ते समय ठंडी हवा का झोंका, दूर से बहती पवित्र गंगा का संगीत
- और आसमान को छूते देवदार के वृक्ष, ये सब मिलकर एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करते हैं।
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महत्वपूर्ण बिंदु
- समय: सवेरे 6 बजे से शाम 4 बजे तक (गर्मी के मौसम में) और सुबह 7 बजे से शाम 3 बजे तक (सर्दियों में)
- प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
- स्थान: देवप्रयाग से कुछ किलोमीटर की दूरी पर कई ट्रेकिंग रास्ते हैं, जिनमें वासुकी गंगा ग्लेशियर, गौरीकुंड ट्रेक और माणा पास शामिल हैं।
- कैसे पहुंचें: देवप्रयाग पहुंचने के बाद, आप स्थानीय टैक्सी या टुक-टुक किराए पर लेकर ट्रेकिंग आरंभ स्थल तक पहुंच सकते हैं।
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7. देवप्रयाग के आसपास घूमने की जगह – Holy Sangam Sthal
- बचपन से ही हम सबने ये सुना है कि गंगा नदी कहाँ से निकलती है,
- लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वो जगह कैसी होगी?
- अब आइए देखते हैं देवप्रयाग की यात्रा पर निकलने का मतलब है।
- पवित्रता और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम अनुभव करना।
- पहाड़ों से घिरी हुई ये जगह आपको अपनी शांति से मंत्रमुग्ध कर देगी।
- यहाँ पर अलकनंदा और भागीरथी नदियों का मिलन स्थल सबसे ज्यादा आकर्षित करता है।
- जहाँ नीला और सफेद रंग का पानी मिलकर गंगा को जन्म देता है।
- वो दृश्य वाकई अविस्मरणीय होता है. इस पवित्र संगम में डुबकी लगाना या किनारे बैठकर आरती देखना,
- देवप्रयाग में जाने की जगह यात्रा का वो अनुभव है जिसे आप हमेशा याद रखेंगे।
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कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- Timings: 6 am to 7 pm
- Entry fee: Free
- Location: Devprayag, Tehri Garhwal, Uttarakhand
- How to reach: Devprayag is 87 km from Rishikesh. You can reach here via road or taxi.
8. देवप्रयाग के पास घूमने की जगह – Lord Shiva Temple
- बचपन से ही मैंने कहानियाँ सुनी हैं कि कैसे देवप्रयाग में पवित्र नदियों का संगम होता है।
- जहाँ न सिर्फ आध्यात्मिक शांति मिलती है बल्कि आसपास का वातावरण मन को मोह लेता है।
- मैंने हमेशा यही सोचा कि कभी मैं भी देवप्रयाग में जाने की जगह जाकर वहाँ के भव्य मंदिरों के दर्शन करूँगा,
- खासकर वहाँ के प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिर के। यह सोचते ही मन में एक अलग ही उत्साह भर जाता है।
- मंदिर की प्राचीन वास्तुकला को निहारने और भगवान शिव का आशीर्वाद लेने की ललक तीव्र हो जाती है।
- तो देवप्रयाग जाने का प्लान बना रहे हैं तो वहाँ के भव्य शिव मंदिर को दर्शन करना ना भूलें!
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देवप्रयाग में जाने के महत्वपूर्ण बिंदु
- Timings: 6 am to 7 pm
- Entry fee: Free
- Location: A short distance from the main market of Devprayag
- How to reach: After reaching Devprayag, one can easily reach the temple on foot or by rickshaw.
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9. देवप्रयाग में घूमने वाली जगह – Ganga Museum
- बचपन से ही हम सबने ये सुना है कि गंगा नदी हिमालय से निकलती है,
- लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वो अपना सफर कैसे शुरू करती है?
- देवप्रयाग में जाने की जगह की यात्रा पर निकलने का एक कारण वहां का “गंगा संग्रहालय” भी हो सकता है।
- संग्रहालय में घूमते हुए, आप पवित्र गंगा नदी के उद्गम से लेकर मैदानी इलाकों तक के पूरे सफर के बारे में जान सकेंगे।
- हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली भागीरथी और अलकनंदा के संगम से गंगा के जन्म की कहानी तस्वीरों और प्रदर्शनों के जरिए जीवंत हो उठती है।
- संग्रहालय में गंगा की धार्मिक मान्यताओं, सांस्कृतिक महत्व और पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में भी बताया गया है।
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- Timings: 9 am to 5 pm (open all days)
- Entry fee: ₹20 (per person)
- Location: Devprayag, near the main market
- How to reach: Devprayag is 87 km from Rishikesh. You can reach there by road or taxi.
10. देवप्रयाग का इतिहास – History of Devprayag
आगे बढ़ने से पहले देवप्रयाग, उत्तराखंड में स्थित एक प्राचीन शहर, जिसका इतिहास पौराणिक कथाओं और धार्मिक महत्व से भरा है।
पौराणिक कथाएं:
देवताओं का वास:
- देवप्रयाग का नाम “देव” और “प्रयाग” दो शब्दों से मिलकर बना है। देव का अर्थ है देवता और प्रयाग का अर्थ है संगम।
- कहा जाता है कि यह वह पवित्र स्थान है जहाँ भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से भागीरथी नदी को पृथ्वी पर भेजा था।
- इसलिए इसे “देवताओं का वास” माना जाता है।
रामायण काल:
- देवप्रयाग का रामायण काल से भी गहरा संबंध है।
- कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान यहाँ 11 साल बिताए थे।
- यहां कुछ ऐसे स्थान भी हैं जो इस किंवदंती से जुड़े हैं, जैसे कि रामघाट और लक्ष्मण झूला।
महाभारत काल:
- देवप्रयाग का उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है।
- कहा जाता है पांडव ने अपने वनवास काल का कुछ वक़्त यही बिताया था।
ऐतिहासिक महत्व:
प्राचीन काल:
- देवप्रयाग का इतिहास बहुत पुराना है। यहां पर कई प्राचीन मंदिर और प्राचीन काल के अवशेष मौजूद हैं।
- कहा जाता है कि यह स्थान गुप्त काल में एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र था।
मध्यकाल:
- मध्यकाल में देवप्रयाग गढ़वाल राज्य का हिस्सा बन गया।
- गढ़वाल के राजाओं ने यहां कई मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया।
आधुनिक काल:
- आधुनिक काल में देवप्रयाग में जाने की जगह एक लोकप्रिय तीर्थस्थल बन गया है।
- यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह स्थान अब एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।
देवप्रयाग के कुछ प्रमुख स्थल:
- त्रिवेणी घाट: यह वह पवित्र घाट है जहां भागीरथी और अलकनंदा नदियां मिलकर गंगा नदी को जन्म देती हैं।
- राधा-कृष्ण मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है।
- गंगा संग्रहालय: यह संग्रहालय गंगा नदी के इतिहास और महत्व को दर्शाता है।
- भगवान शिव मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- गौरी शंकर मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है।
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11. देवप्रयाग में प्रसिद्ध त्यौहार – Ganga Dussehra
देवप्रयाग की पावन भूमि सिर्फ शांत आध्यात्मिक अनुभव ही नहीं देती, बल्कि साल भर होने वाले रंगारंग त्योहारों से भी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। अगर आप देवप्रयाग घूमने की सोच रहे हैं, तो इन प्रमुख त्योहारों को ध्यान में रख सकते हैं:
- बसंत पंचमी: सर्दियों के बाद बहार के आगमन का जश्न मनाने के लिए बसंत पंचमी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दौरान मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और पीले वस्त्र पहने श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं।
- वैशाखी: किसानों के लिए फसल कटाई के त्योहार के रूप में वैशाखी का विशेष महत्व है। इस दौरान देवप्रयाग में मेले का आयोजन किया जाता है, जहां संगीत, भक्ति और लोक नृत्य का संगम देखने को मिलता है।
- गंगा दशहरा: यह पर्व गंगा नदी के अवतार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं और शाम को दीपदान का आयोजन होता है, जिससे गंगा तट जगमगा उठता है।
- क दीपावली: दीपावली का पर्व पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और देवप्रयाग में भी इसकी धूम देखने लायक होती है। घरों और मंदिरों को दीयों से सजाया जाता है और पटाखों की रोशनी से पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है।
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12. देवप्रयाग कैसे पहुंचे – How to reach Devprayag
उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों में बसा देवप्रयाग, भागीरथी और अलकनंदा नदियों के संगम के लिए प्रसिद्ध है। यह पवित्र स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है। यदि आप भी देवप्रयाग की मनमोहक यात्रा पर निकलने का प्लान बना रहे हैं, तो सबसे पहले वहां पहुंचने का रास्ता जानना ज़रूरी है। देवप्रयाग तक पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई मार्ग तीनों विकल्प मौजूद हैं:
सड़क मार्ग:
- देवप्रयाग तक पहुंचने का सबसे सुविधाजनक और सुंदर तरीका सड़क मार्ग है।
- आप दिल्ली के कश्मीरी गेट आईएसबीटी से नियमित रूप से चलने वाली सरकारी बसों द्वारा देवप्रयाग पहुंच सकते हैं।
- किराया लगभग ₹500 से ₹700 के बीच है और यात्रा का समय लगभग 11-12 घंटे लग सकता है।
- देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार जैसे शहरों से भी देवप्रयाग के लिए टैक्सियाँ आसानी से मिल जाती हैं।
रेलवे मार्ग:
- निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश में है, जो देवप्रयाग से लगभग 72 किमी दूर स्थित है।
- देश के विभिन्न शहरों से ऋषिकेश के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं।
- वहां से आप टैक्सी या बस द्वारा देवप्रयाग पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग:
- देवप्रयाग का निकटतम हवाई अड्डा Jolly Grant Airport, देहरादून में स्थित है।
- यह हवाई अड्डा देश के विभिन्न महानगरों से जुड़ा हुआ है।
- यात्रा का समय लगभग 2-3 घंटे लग सकता है।
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13. देवप्रयाग घूमने का सबसे अच्छा समय – best time to visit in Devprayag
देवप्रयाग घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है। इन महीनों में मौसम सुहावना होता है, और तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
गर्मियों (मार्च-जून) में, मौसम गर्म और शुष्क होता है, और तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। यदि आप गर्मी से परेशान नहीं हैं, तो यह समय देवप्रयाग घूमने के लिए भी अच्छा है, क्योंकि इस दौरान कम भीड़ होती है।
बरसात (जुलाई-अगस्त) में, देवप्रयाग में भारी बारिश होती है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन हो सकता है। इसलिए, इस समय देवप्रयाग जाने की सलाह नहीं दी जाती है।
सर्दियों (दिसंबर-फरवरी) में, मौसम ठंडा होता है, और तापमान 0 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। यदि आप बर्फबारी का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह समय देवप्रयाग घूमने के लिए अच्छा है।
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निष्कर्ष – Conclusion
पवित्र धाम देवप्रयाग न सिर्फ आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर से भी भरपूर है। यहाँ आकर आप न केवल त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि प्राचीन मंदिरों के दर्शन और संग्रहालयों में जाकर ज्ञान भी अर्जित कर सकते हैं। उम्मीद है, इस लेख में बताई गई जानकारी देवप्रयाग में जाने की जगहें के बारे में आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अपनी यात्रा का भरपूर आनंद लें!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के पवित्र संगम के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ से गंगा नदी का उद्गम माना जाता है।
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (70 किमी) और हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट (90 किमी) है। वहाँ से टैक्सी/बस से देवप्रयाग पहुँचा जा सकता है।
मार्च से जून (गर्मी) और सितंबर से नवंबर (शरद ऋतु) का समय सबसे उपयुक्त है।
यहाँ अनेक धर्मशालाएँ, गेस्ट हाउस और बजट होटल उपलब्ध हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) का टूरिस्ट रेस्ट हाउस भी एक अच्छा विकल्प है।
स्थानीय गढ़वाली भोजन जैसे कि कंदाली की सब्जी, भांग की चटनी, मंडुए की रोटी और स्थानीय दाल का आनंद लें।
ऋषिकेश (70 किमी), श्रीनगर (गढ़वाल) (35 किमी), रुद्रप्रयाग (34 किमी) और नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख हैं।
हाँ, चंद्रबदनी मंदिर और वशिष्ठ गुफा तक की छोटी ट्रेकिंग की जा सकती है। यह चार धाम यात्रा के रास्ते में भी पड़ता है।
मुख्य आकर्षण देखने के लिए 1-2 दिन पर्याप्त हैं। यदि आसपास के स्थान देखने हों तो 2-3 दिन रुका जा सकता है।
हाँ, बीएसएनएल, जिओ और एयरटेल का नेटवर्क उपलब्ध है, लेकिन कुछ स्थानों पर सिग्नल कमजोर हो सकता है।
मानसून (जुलाई-अगस्त) में यात्रा से बचें। संगम में स्नान करते समय सावधानी बरतें। सर्दियों में गर्म कपड़े साथ ले जाएँ।
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