महापर्व छठ: मान्यता और महत्व

महापर्व छठ: मान्यता और महत्व
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महापर्व छठ पूजा का भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान है। भारतीय संस्कृति में कुछ त्योहार और रीति-रिवाज ऐसे हैं जो न केवल धार्मिक आस्था बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक हैं।

ऐसा ही एक महत्वपूर्ण पर्व है छठ पूजा। यह पर्व अपनी कठिन नियमावली, शुद्धता और आस्था के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

छठ को केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक महापर्व कहा जाता है, जो सूर्य देव और प्रकृति की उपासना का अनूठा संगम है।

यह पूजा मुख्य रूप से पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। यह पर्व सूर्य देव और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अनूठा अवसर है।

महापर्व छठ पूजा क्या है?

महापर्व छठ: मान्यता और महत्व
  • इस पर्व को छठ या  छठी मइया का पर्व भी कहा जाता है, एक चार दिवसीय कठोर व्रत है।
  • यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक चलता है।
  • इस दौरान व्रतधारी निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव की आराधना करते हैं।
  • मुख्य पूजा सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नदियों, तालाबों या अन्य जलाशयों के किनारे की जाती है।
  • जहाँ डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

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छठ पर्व का इतिहास और पौराणिक महत्व:

महापर्व छठ: मान्यता और महत्व
Chhath pooja
  • इस पर्व का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी।
  • जब पांडव अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत का पालन किया और उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं।
  • इसके अलावा, भगवान राम और माता सीता के अयोध्या लौटने के बाद कार्तिक मास में सूर्य देव की उपासना करने का भी वर्णन मिलता है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया या षष्ठी देवी को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।
  • वे बच्चों के जीवन की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं।
  • इसलिए, संतान की कामना रखने वाले या उनके स्वस्थ जीवन की कामना करने वाले लोग इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करते हैं।

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छठ पूजा का महत्व:

महापर्व छठ: मान्यता और महत्व

1. आध्यात्मिक महत्व

  • महापर्व छठ आस्था और भक्ति का प्रतीक है।
  • इस व्रत में सूर्य देव की उपासना की जाती है, जिन्हें जीवन का आधार माना जाता है।
  • सूर्य को प्रसन्न करने के लिए व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं, और विशेष प्रसाद तैयार करते हैं।
  • इस व्रत का मुख्य उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करना है।

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2. सामाजिक महत्व

  • यह एक ऐसा पर्व है, जो सामाजिक भेदभाव को मिटाकर एकता का संदेश देता है।
  • इस पर्व में सभी वर्गों, जातियों और समुदायों के लोग एक साथ शामिल होते हैं।
  • घाटों पर सभी व्रती एक साथ बैठकर पूजा करते हैं, और प्रसाद बांटते हैं।
  • यह पर्व समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।

3. वैज्ञानिक महत्व

  • महापर्व छठ का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी बहुत महत्वपूर्ण है।
  • यह पर्व कार्तिक मास में मनाया जाता है, जब सूर्य की किरणें शरीर के लिए विशेष रूप से लाभदायक होती हैं।
  • सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की रोशनी में खड़े होने से शरीर को विटामिन डी मिलता है, जो हड्डियों और त्वचा के लिए फायदेमंद है।
  • इसके अलावा, नदी या तालाब में खड़े होकर पूजा करने से मन को शांति मिलती है और शरीर की ऊर्जा बढ़ती है।

छठ पूजा की विधि और तैयारी:

महापर्व छठ: मान्यता और महत्व
Mahaparv Chhath

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें हर दिन की अपनी अलग रस्में और महत्व हैं।

1: नहाय-खाय

  • पहले दिन व्रती स्नान करके शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं।
  • इस दिन कद्दू की सब्जी और चने की दाल बनाई जाती है। यह दिन शुद्धता और तैयारी का प्रतीक है।

2: खरना

  • दूसरे दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं, और शाम को गुड़ की खीर या रसिया बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
  • इस प्रसाद को पूरे परिवार के साथ बांटा जाता है।

3: संध्या अर्घ्य

  • तीसरे दिन निर्जला उपवास कर के शाम को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
  • व्रती नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को जल, दूध और फल चढ़ाते हैं।
  • इस दिन छठी मैया के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसमें ठेकुआ, फल और नारियल शामिल होते हैं।

4: उषा अर्घ्य

  • चौथे दिन सुबह सूर्योदय से पहले व्रती फिर से नदी या तालाब में जाते हैं।
  • उगते सूरज को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करके व्रत को पूरा करते हैं।

छठ पूजा की विशेषताएं:

महापर्व छठ: मान्यता और महत्व

1: शुद्धता और सादगी

  • इस पूजा में बिना प्याज-लहसुन के सादा भोजन बनाया जाता है।
  • प्रसाद के लिए गुड़, गेहूं, चावल और स्थानीय फलों का उपयोग किया जाता है।
  • छठ का प्रसाद बहुत ही सादगी भरा और पौष्टिक होता है।
  • इसमें मुख्य रूप से ठेकुआ, चावल के लड्डू, केला, नारियल, गन्ना और मौसमी फल शामिल होते हैं।
  • सब कुछ घर पर बनाया जाता है और मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है।

2: प्रकृति का सम्मान

  • छठ पूजा प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। इसमें सूर्य, जल, वायु और मिट्टी सभी का पूजन किया जाता है।
  • इन सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
  • इसमें नदी अग्नि, वायु और मिट्टी के चूल्हे और बांस की टोकरी का उपयोग सभी तत्वों की पूजा एक साथ होती है।
  • यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का भी एहसास कराता है।

3: नारी शक्ति का प्रतीक

  • इस पर्व को महिलाएं ही मुख्य रूप से मनाती हैं। वे अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कठोर तपस्या करती हैं।

4: सामूहिकता

  • यह पर्व अकेले नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के साथ मिलकर मनाया जाता है।
  • यह पर्व जाति-धर्म के भेदभाव से परे है। घाटों पर हज़ारों लोग एक साथ पूजा करते हैं।

5: कठोर नियम और शुद्धता

  • छठ पूजा की सबसे बड़ी विशेषता इसकी कठोर साधना और शुद्धता पर जोर देना है।
  • व्रतधारी को चार दिनों तक भूमि पर सोना, सात्विक भोजन ग्रहण करना और निर्जला व्रत रखना होता है।
  • इससे मन की शुद्धि और आत्मिक बल मिलता है।

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निष्कर्ष:

महापर्व छठ पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह जीवन जीने की कला सिखाती है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और प्रकृति प्रेम का अद्भुत संगम है।

यह हमें प्रकृति के प्रति आभार, समाज के प्रति समर्पण और अपने अंदर की शक्ति को पहचानने का अवसर देती है। जब सूर्य की पहली किरण फूटती है और लाखों लोग एक साथ डूबते सूरज को अर्घ्य, उगते सूरज को अर्घ्य का मंत्र गुंजाते हैं, तो लगता है कि यह पर्व मानव और प्रकृति के बीच की अटूट बंधन को मजबूत कर रहा है।

FAQs

1. छठ पूजा क्या है?

उत्तर: छठ सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक 4-दिवसीय हिंदू महापर्व है, जो आस्था, शुद्धता और प्रकृति पूजन का अनूठा संगम है।

2. छठ पूजा कब मनाई जाती है?

उत्तर: यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी (छठ) तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर दिवाली के छठे दिन पड़ता है।

3. छठी मैया कौन हैं?

उत्तर: छठी मैया (षष्ठी देवी) को संतानों की रक्षक देवी माना जाता है। वे बच्चों को दीर्घायु और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।

4. अर्घ्य क्या होता है?

उत्तर: सूर्य देव को चढ़ाया जाने वाला भेंट अर्घ्य कहलाता है। इसमें दूध, जल, फल और फूलों से भरी बांस की टोकरी (दउरा) सूर्य को अर्पित की जाती है।

5. छठ व्रत कितना कठोर है?

उत्तर: 36 घंटे का निर्जला उपवास, बिना पानी के।

6. छठ पूजा का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

उत्तर: सूर्य की किरणों से विटामिन-डी मिलता है, मन को शांति मिलती है।

7. क्या पुरुष भी छठ व्रत रख सकते हैं?

उत्तर: हाँ! यह पर्व सभी के लिए खुला है। हालाँकि अधिकतर महिलाएँ व्रत रखती हैं, लेकिन बहुत से पुरुष भी पूरी श्रद्धा से यह व्रत करते हैं।

8. छठ पूजा की सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है?

उत्तर: सामाजिक एकता – सभी जाति-वर्ग एक साथ एक घाट पर पूजा करते हैं।

9. छठ में ‘नहाय-खाय’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: पहले दिन की रस्म – स्नान के बाद शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करना।

10. ठेकुआ क्या है?

उत्तर: आटे और गुड़ से बनी एक मीठी रोटी जो छठ का मुख्य प्रसाद है।

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