मध्य प्रदेश में स्थित भीमबेटका शैलाश्रयआश्रय भारत के पुरातात्विक वैभव का एक अदभुत उदाहरण है। विंध्य पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसे ये प्राकृतिक शैल आश्रय अपने अंदर छिपाए हुए हैं मानव सभ्यता के विकास की कहानी। लगभग 750 से अधिक शैल चित्रों वाली यह धरोहर स्थल हमें उस समय के रहन-सहन, शिकार पद्धतियों और धार्मिक मान्यताओं की झलक दिखाती है। इन चित्रों को बनाने में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया था, जो हजारों साल बाद भी अपनी चमक बनाए हुए हैं। आइए, इस लेख में हम भीमबेटका शैल आश्रय के रहस्य को explore करें और जानें प्राचीन मानव जीवन के बारे में रोचक तथ्य।
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भीमबेटका का इतिहास – History of Bhimbetka
भीमबेटका, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित, शैल चित्रों और शैलाश्रयों का एक विशाल भंडार है। यह अपनी प्रागैतिहासिक कलाकृतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जो 10,000 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। 1957-58 में डॉ. वी.एस. वाकणकर द्वारा खोजे गए, ये शैलाश्रय मानव सभ्यता के विकास का एक अद्भुत चित्रण करते हैं।
इस भीमबेटका शैलाश्रय का इतिहास हमें प्राचीन मानव के जीवन, शिकार, कृषि, नृत्य, अनुष्ठानों और प्राकृतिक परिवेश के बारे में जानकारी देता है। इन चित्रों में शेर, हिरण, भैंस, घोड़े, मगरमच्छ, मछली और पक्षियों जैसे जानवरों को दर्शाया गया है।
भीमबेटका के शैल चित्र विभिन्न रंगों से बने हुए हैं, जिनमें लाल, पीला, भूरा, सफेद और काला प्रमुख हैं। इन चित्रों को बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया था, जो खनिज और वनस्पतियों से प्राप्त किए जाते थे।
इस भीमबेटका का ऐतिहासिक महत्व अतुलनीय है। यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है और भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भीमबेटका की कुछ प्रमुख विशेषताएं:
- 500 से अधिक शैलाश्रय और 25,000 से अधिक शैल चित्र
- 10,000 वर्ष से अधिक पुराने चित्र
- शिकार, कृषि, नृत्य, अनुष्ठानों और प्राकृतिक परिवेश का चित्रण
- प्राकृतिक रंगों का उपयोग
- यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित
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भीमबेटका के दर्शनीय स्थल – Jogimarar Cave
Places to visit in Bhimbetka – Jogimarar Cave
भीमबेटका शैलाश्रय की गुफाओं में घूमते हुए, कभी-कभी ऐसा लगता है मानो हम समय में वापस यात्रा कर रहे हैं। ऐसी ही एक गुफा है जोगीमरार। इस गुफा की दीवारों पर बने फीके पड़ चुके चित्र किसी रहस्य की कहानी कह रहे हैं। कहीं शिकार के दृश्य हैं, तो कहीं अजीबो-गरीब आकृतियों का जाल बिछा है। इन चित्रों को देखते वक्त मन में कौतुहल उठता है कि आखिर इन्हें बनाने वाले आदिमानव हमें क्या बताना चाहते थे? क्या ये उनके जीवन की कहानियां हैं, उनकी आस्थाएं हैं, या फिर भविष्य के लिए छोड़ा गया कोई संदेश? जोगीमरार की गुफा हमें अतीत की झलक तो दिखाती ही है, साथ ही हमारे मन में अनगिनत सवाल भी खड़े कर देती है।
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- Timings: सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (सभी दिन)
- Entry Fee: भारतीय पर्यटकों के लिए ₹15, विदेशी पर्यटकों के लिए ₹100
- Location: भीमबेटका शैलाश्रय परिसर, रायसेन जिला, मध्य प्रदेश
- How to reach: भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित है। सड़क या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है।
भीमबेटका के पर्यटन स्थल – Yellow Ochre Cave
सबसे पुराने भीमबेटका की गुफाओं में घूमते हुए, आप अतीत की कहानियों को दीवारों पर उकेरे हुए पाएंगे। ऐसी ही एक खास गुफा है – पीली गेरुआ गुफा। इस गुफा का नाम ही इसकी खासियत बता देता है। प्राचीन कलाकारों ने इस गुफा की दीवारों को पीले गेरुए से रंगा हुआ है। इस रंग को उन्होंने प्राकृतिक खनिजों से बनाया था। पीली गेरुआ की दीवारों पर आप जानवरों, शिकार के दृश्य और ज्यामितीय आकृतियां भी देख सकते हैं। माना जाता है कि पीले रंग का प्रयोग उस समय पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता था।
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक (सभी दिन)
- प्रवेश शुल्क: ₹10 (भारतीयों के लिए), ₹100 (विदेशियों के लिए)
- स्थान: भीमबेटका शैलाश्रय, रायसेन जिला, मध्य प्रदेश
- कैसे पहुंचे: भीमबेटका तक पहुंचने के बारे में जानकारी के लिए आप ऊपर दिए गए विवरण का सहारा ले सकते हैं।
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भीमबेटका में जाने की जगहें – Jalasar Cave
Places to visit in Bhimbetka – Jalasar Cave
भीमबेटका शैलाश्रय की गुफाओं में घूमते हुए, कभी-कभी ऐसा लगता है मानो हम समय में वापस यात्रा कर रहे हैं. जलाशय गुफा ऐसी ही एक गुफा है, जो अपने अंदर छुपाए हुए रहस्यों से हमें रोमांचित करती है. इस गुफा की दीवारों पर बने शैल चित्र मानो हमें उस आदिम युग में ले जाते हैं, जब प्रकृति से सीधा जुड़ाव था. कहीं हिरणों का शिकार करते हुए आदिमानव दिखाई देते हैं, तो कहीं जंगली सूअरों का पीछा करते हुए. एक कोने में रंगीन घोड़ों की कतार है, तो दूसरे कोने में जलाशय के पास नाचते हुए लोगों का जमघट.
जलाशय गुफा:
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- दर्शन का समय: सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (सभी दिन)
- प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹10, विदेशियों के लिए ₹100 ( परिवर्तन के अधीन)
- स्थान: भीमबेटका शैलाश्रय परिसर, रायसेन जिला, मध्य प्रदेश
- कैसे पहुंचे: भोपाल से लगभग 46 किलोमीटर दूर स्थित है. सड़क या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
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महत्व भीमबेटका शैलाश्रयों के भव्य जाल में छिपी हुई एक गुफा है, जिसे “अश्व शैल गुफा” के नाम से जाना जाता है। यह नाम ही इस गुफा की खासियत बयां कर देता है। भीतर जाने पर आप दीवारों पर बने घोड़ों के चित्रों से मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। इन घोड़ों को दौड़ते, कूदते और शिकार करते हुए दर्शाया गया है। कुछ चित्रों में घोड़ों के साथ ही शिकारियों को भी दिखाया गया है, जो हमें बताते हैं कि प्राचीन काल में घोड़ों का इस्तेमाल शिकार के लिए भी किया जाता था। अश्व शैल गुफा मानव इतिहास और कला के साथ-साथ प्राचीन लोगों के जीवनशैली की एक रोमांचक झलक पेश करती है।
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- समय: सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (सभी दिन)
- प्रवेश शुल्क: भारतीय पर्यटकों के लिए ₹10, विदेशी पर्यटकों के लिए ₹100 ( परिवर्तन के अधीन)
- स्थान: भीमबेटका शैलाश्रय परिसर, रायसेन जिला, मध्य प्रदेश
- कैसे पहुंचे: भोपाल से रायसेन के लिए बस या टैक्सी ली जा सकती है। रायसेन से भीमबेटका तक पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन उपलब्ध है।
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भीमबेटका में करने के लिए चीजें – Enjoy Boating
Things to do in Bhimbetka – Enjoy Boating
अद्भुत भीमबेटका शैलाश्रय सिर्फ इतिहास के धूल को झाँकने वाली जगह नहीं है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का ख़ज़ाना भी है। यहाँ की चट्टानों के नीचे एक शांत झील है जो मानो आपको अपनी ओर बुला रही हो। इस झील में आप नौका विहार का मज़ा ले सकते हैं. कल्पना कीजिए, आप नौका पर बैठे हैं, ऊपर विशाल चट्टानें हैं जिनपर हज़ारों साल पुराने चित्र बने हुए हैं और आप शांत जल के बीच प्रकृति की ख़ूबसूरती में खोए जा रहे हैं। यह अनुभव निश्चित रूप से आपको अविस्मरणीय लगेगा।
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- Timings: 9:00 am to 5:00 pm
- Entry Fee: ₹50 for Indian tourists, ₹100 for foreign tourists (subject to change)
- Location: Bhimbetka, Raisen district, Madhya Pradesh
- How to reach: Bhimbetka is about 46 km from Bhopal. You can reach here by taxi or bus
भीमबेटका के आसपास घूमने की जगह – Auditorium Cave
कभी कल्पना कीजिए, आप हजारों साल पीछे चले गए हैं! भीमबेटका शैलाश्रय में घूमते हुए, आप अचानक एक विशाल गुफा के सामने खड़े हो जाते हैं। ऊंची छत और प्राकृतिक चट्टानों से घिरी यह गुफा मानो इतिहास की कहानी सुनाने को तैयार है। इसे “ऑडिटोरियम गुफा” कहा जाता है, शायद इसलिए क्योंकि इसकी प्राकृतिक संरचना किसी सभागार जैसा अनुभव कराती है। दीवारों पर अतीत के निशान उभरे हुए हैं – प्राचीन मनुष्यों के बनाए शैल चित्र। कौतुहल से आप गुफा के अंदर झांकते हैं, मानो उन चित्रों के माध्यम से उस समय के लोगों की जिंदगी को छूना चाहते हैं।
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- समय: सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक (सोमवार को बंद)
- प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹10, विदेशियों के लिए ₹100
- स्थान: रायसेन जिले, मध्य प्रदेश, भारत
- कैसे पहुंचे: भोपाल से लगभग 46 किमी दूर स्थित है। सड़क या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है।
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भीमबेटका के पास घूमने की जगह – Double Boobed Horse Cave
Places to visit near Bhimbetka – Double Boobed Horse Cave
अद्भुत भीमबेटका शैलाश्रय की गुफाओं में घूमते हुए, आप अचंछित कलाकृतियों के खजाने पर ठोकर खा सकते हैं, जिनमें से कुछ आपको अवाक् छोड़ देंगी। ऐसी ही एक अदभुत गुफा है “डबल बूब्ड हॉर्स केव” जिसे ‘दोहरे सीने वाला घोड़ा गुफा’ के नाम से भी जाना जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस गुफा की दीवारों पर एक अनोखे घोड़े की आकृति उकेरी गई है, जिसकी खासियत यह है कि उसके दो सीने हैं। यह आकृति इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के बीच काफी चर्चा का विषय रही है। कुछ का मानना है कि यह एक असामान्य आनुवंशिक विकृति वाले घोड़े का चित्रण है, वहीं कुछ का कहना है कि यह किसी खास पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- समय: सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (सभी दिन)
- प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹10, विदेशियों के लिए ₹100 ( परिवर्तन के अधीन)
- स्थान: भीमबेटका शैलाश्रय, रायसेन जिला, मध्य प्रदेश
- कैसे पहुंचे: भोपाल से रायसेन के लिए बस या टैक्सी लें। रायसेन से भीमबेटका तक पहुंचने के लिए आप ऑटोरिक्शा या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
भीमबेटका में घूमने वाली जगह – Semi-Circular Cave
इस भीमबेटका शैलाश्रयों की खूबसूरती के बीच छिपी हुई है एक अनोखी सी गुफा, जिसे “अर्ध चंद्राकार गुफा” के नाम से जाना जाता है। इस गुफा का आकार बिल्कुल एक अर्ध चांद जैसा है, मानो चांद का एक टुकड़ा धरती पर आ गिरा हो। गुफा के अंदर की दीवारें शैल चित्रों से अलंकृत हैं। इन चित्रों को गौर से देखने पर लगता है मानो कोई प्राचीन कलाकार इन दीवारों पर अपने जमाने की कहानियां सुना रहा हो। शिकार के दृश्य, जंगली जानवर, नाचते हुए लोग और बहुत कुछ, ये चित्र हमें उस समय के लोगों की कलात्मक प्रतिभा और जीवन शैली की झलक देते हैं।
भीमबेटका शैलाश्रय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक (सभी दिन)
- प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹10, विदेशियों के लिए ₹100 ( परिवर्तन के अधीन)
- स्थान: भीमबेटका शैलाश्रय, रायसेन जिला, मध्य प्रदेश
- कैसे पहुंचे: भोपाल से रायसेन के लिए बस या टैक्सी ली जा सकती है। रायसेन से भीमबेटका तक पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन उपलब्ध हैं।
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भीमबेटका का रहस्य- प्रागैतिहासिक काल की रहस्यों भरी खिड़की
इन भीमबेटका शैलाश्रय, अपनी प्राचीन चित्रों और कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध होने के साथ-साथ, कई रहस्यों को भी अपने में समेटे हुए है। इन रहस्यों को समझने का प्रयास वैज्ञानिकों और इतिहासकारों द्वारा सदैव से किया जाता रहा है।
भीमबेटका के कुछ प्रमुख रहस्य:
- चित्रों का अर्थ: हजारों साल पहले बनी इन चित्रों का क्या अर्थ है? क्या ये केवल शिकार और जीवन के दृश्य हैं या इनके पीछे कोई गहरा अर्थ छिपा है? वैज्ञानिक इन चित्रों का गहन अध्ययन कर रहे हैं ताकि इनके पीछे की कहानी को समझा जा सके।
- अज्ञात सभ्यता: भीमबेटका के चित्रों में दर्शाए गए लोग कौन थे? क्या वे किसी अज्ञात सभ्यता का हिस्सा थे? वैज्ञानिकों का मानना है कि इन चित्रों का अध्ययन करके उस काल के लोगों के जीवन और संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- प्राकृतिक आपदाएं: भीमबेटका के कुछ चित्रों में बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं का चित्रण है। क्या ये चित्र उस समय हुई वास्तविक घटनाओं को दर्शाते हैं? वैज्ञानिकों का मानना है कि इन चित्रों का अध्ययन करके उस काल की जलवायु और पर्यावरण के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- अंतरिक्षीय संबंध: भीमबेटका के कुछ चित्रों में ऐसे चिन्ह हैं जो कि aliens से जुड़े होने का अनुमान लगाया जाता है। क्या ये चित्र उस काल के लोगों की अंतरिक्ष में रुचि को दर्शाते हैं? वैज्ञानिकों का मानना है कि इन चित्रों का अध्ययन करके उस काल के लोगों की सोच और विश्वासों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
भीमबेटका में होटल – Hotels in Bhimbetka
भारत भीमबेटका में आपके लिए कुछ होटल विकल्प हैं:
- होटल संत कृपा पैलेस – ₹892 प्रति रात।
- होटल GMP | बजट स्टे ऐट होशंगाबाद – ₹813 प्रति रात (सामान्य से 21% कम)।
- होटल प्रकाश & सोंस – ₹977 प्रति रात। साधारण से लगने वाले होटल में सादे क्वॉर्टर हैं, जिनमें वाई-फ़ाई है. यहां पार्किंग और नाश्ते की सुविधा है।
- MPT हाईवे ट्रीट, भीमबेटका – ₹ प्रति रात।
- होटल युवराज पैलेस – ₹1,092 प्रति रात (सामान्य से 17% कम)।
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भीमबेटका में प्रसिद्ध त्यौहार – Tribal Fair
इस भीमबेटका शैलाश्रय भले ही किसी प्राचीन उत्सव का साक्षी न रहा हो, लेकिन आसपास के गांवों में मनाए जाने वाले त्योहार इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। इन त्योहारों में शामिल होकर आप भीमबेटका के आसपास की संस्कृति को करीब से अनुभव कर सकते हैं।
- मकर संक्रांति: फसल कटने के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस त्योहार में आदिवासी समुदाय रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर ढोल की थाप पर नाचते गाते हैं। आप इस दौरान उनके पारंपरिक व्यंजनों का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं।
- आदिवासी मेला: स्थानीय आदिवासी समुदाय द्वारा आयोजित इस मेले में उनकी हस्तकला और परंपराओं की झलक देखने को मिलती है। आप यहां हस्तशिल्प की खरीदारी कर सकते हैं और उनकी लोक कला को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
भीमबेटका की खोज कब हुई – When was Bhimbetka discovered
इस भीमबेटका की खोज 1957 में भारतीय पुरातत्वविद् डॉ. वी.एस. वाकणकर ने की थी। उन्होंने विंध्य पर्वत की तलहटी में स्थित इस क्षेत्र में प्राचीन रॉक पेंटिंग और शैलाश्रय देखे और इसकी महत्ता को पहचाना।डॉ. वाकणकर के अनुसंधान ने भीमबेटका को भारत और विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल के रूप में स्थापित किया। 1988 में यूनेस्को ने भीमबेटका को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।भीमबेटका की खोज भारतीय इतिहास और संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने प्राचीन काल के मानव जीवन और संस्कृति के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद की।
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भीमबेटका कैसे पहुंचे – How to reach Bhimbetka
भीमबेटका की यात्रा का रोमांच शुरू हो जाता है, वहां पहुंचने की योजना बनाने के साथ ही! आइये जानते हैं आप कैसे भीमबेटका पहुंच सकते हैं:
- सड़क मार्ग: भीमबेटका तक पहुंचने का सबसे आम तरीका सड़क मार्ग है। आप भोपाल से बस या टैक्सी ले सकते हैं।
- यात्रा का समय: भोपाल से भीमबेटका तक की दूरी लगभग 46 किलोमीटर है। टैक्सी में यह दूरी लगभग 1-1.5 घंटे में तय की जा सकती है। वहीं बस से यात्रा करने में थोड़ा अधिक समय, लगभग 2-2.5 घंटे लग सकते हैं।
- किराया: टैक्सी का किराया लगभग ₹800 से ₹1200 के बीच हो सकता है, जो टैक्सी के प्रकार और आपकी सौदेबाजी क्षमता पर निर्भर करता है। बस का किराया काफी कम है, जो लगभग ₹50 से ₹100 के बीच हो सकता है।
- हवाई मार्ग: यदि आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं, तो निकटतम हवाई अड्डा भोपाल में स्थित राजा भोज हवाई अड्डा (BHO) है। भोपाल हवाई अड्डे से भीमबेटका तक आपको टैक्सी लेनी होगी।
भीमबेटका कैसे पहुंचे कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- यात्रा का समय: हवाई यात्रा का समय आपके प्रारंभिक शहर पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली से भोपाल के लिए उड़ान का समय लगभग 1 घंटा 15 मिनट है। इसके बाद, भोपाल से भीमबेटका तक टैक्सी से पहुंचने में लगभग 1-1.5 घंटे का समय लग सकता है।
- किराया: हवाई यात्रा का किराया आपके प्रारंभिक शहर और बुकिंग के समय पर निर्भर करता है। आप ऑनलाइन किराए की तुलना कर सकते हैं।
- रेल मार्ग: भीमबेटका का निकटतम रेलवे स्टेशन भोपाल जंक्शन (BPL) है। भोपाल जंक्शन से आप टैक्सी लेकर भीमबेटका पहुंच सकते हैं।
- यात्रा का समय: रेल यात्रा का समय आपके प्रारंभिक शहर पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली से भोपाल के लिए ट्रेन का समय लगभग 12-14 घंटे का हो सकता है। इसके बाद, भोपाल से भीमबेटका तक टैक्सी से पहुंचने में लगभग 1-1.5 घंटे का समय लग सकता है।
- किराया: रेल यात्रा का किराया आपके प्रारंभिक शहर और चुने गए ट्रेन के डिब्बे के प्रकार पर निर्भर करता है। आप ऑनलाइन किराए की तुलना कर सकते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion
समापन में, भीमबेटका शैलाश्रय हमें इतिहास की गहराइयों में ले जाने का एक अद्भुत द्वार है। हजारों साल पुरानी कलाकृतियों को देखते हुए हम उस समय के लोगों के जीवन, उनकी कला और उनकी संस्कृति की कल्पना कर सकते हैं। भीमबेटका न सिर्फ इतिहास प्रेमियों को बल्कि प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर खींचता है। यह स्थल प्राचीन इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम है। तो देर किस बात की, आप भी अपनी यात्रा की योजना बनाइए और भीमबेटका की अविस्मरणीय यात्रा का आनंद लीजिए।
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भीमबेटका रॉक शेल्टर्स के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Ans. भीमबेटका कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें शामिल हैं:
प्राचीन रॉक पेंटिंग: भीमबेटका अपनी 750 से अधिक रॉक पेंटिंग के लिए सबसे प्रसिद्ध है, जो 30,000 साल से भी अधिक पुरानी हैं। ये चित्र शिकार के दृश्य, जानवरों, नृत्य के दृश्य, और मानव जीवन के अन्य पहलुओं को दर्शाते हैं। इन चित्रों को देखकर हम उस समय के लोगों के जीवन और संस्कृति के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं।विश्व धरोहर स्थल: भीमबेटका को 1988 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह भारत का पहला ऐसा स्थल है जिसे रॉक आर्ट के लिए चुना गया था।
Ans. भीमबेटका किसी नदी के किनारे स्थित नहीं है। यह विंध्य पर्वत की तलहटी में, रातापानी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित है। निकटतम नदी बेतवा नदी है, जो भीमबेटका से लगभग 10 किलोमीटर दूर बहती है।
भीमबेटका की भौगोलिक स्थिति बेतवा नदी से अलग होने के कारण यहां नदी तट नहीं है।
Ans. भीमबेटका भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यह रायसेन जिले में, भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह विंध्य पर्वत की तलहटी में, रातापानी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित है।यहां भीमबेटका शैलाश्रय नामक प्राचीन रॉक आर्ट स्थल है, जो यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
Ans. भीमबेटका में करीब 700 शैलाश्रय (रॉक शेल्टर) हैं, जिनमें से 275 शैलाश्रय चित्रों और नक्काशीदार कलाकृतियों से सज्जित हैं। यह शैलाश्रय पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल तक मानव गतिविधियों का केंद्र रहे हैं।
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