केरल किस लिए प्रसिद्ध है | God’s Own Country | Why Kerala is famous In Hindi

यहाँ हर मोड़ पर प्रकृति सांस लेती और संस्कृति मुस्कुराती है। केरल भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर बसा हुआ है। केरल का इतिहास आज का ही नहीं बल्कि बहुत पुराना है। सिन्धु घाटी सभ्यता से भी केरल को जोड़ा जाता रहा है। सबके मन में ये जरुर आता है की आख़िर केरल किस लिए प्रसिद्ध है?”केरल मसलों अपनी सांस्कृतिक धरोहर अपनी विरासत और अपने शांत और प्राकृतिक वातावरण के लिये भी बहुत प्रसिद्ध है। केरल आयुर्वेदिक चिकत्सा लिये भी प्रसिद्ध है, यहाँ विदेश से भी लोग अपने चिकित्स्य के लिये आते है। केरल को “God’s Own Country” भी कहा जाता है। केरल टूरिज्म केरल के famous foood, culture: art and traditions kerla traditonal dance kathakkali, onam festival, boat race in kerala केरल इन सब वजहों से ही नही बल्कि और भी कारणों से famous है जिसका जिक्र आज के blog में करेंगे।
Table of Contents
1 नावों की रेस: जहाँ जोश पानी से टकराता है
केरल की बोट रेस, जिसे स्थानीय भाषा में वल्लम काली कहा जाता है, केरल की सांस्कृतिक पहचान और परंपरा का एक जीवंत प्रतीक है। विशेष रूप से नेहरू ट्रॉफी बोट रेस सबसे प्रसिद्ध प्रतियोगिता है, जो हर साल ओणम के त्योहार के अवसर पर अल्लेप्पी की बैकवॉटर झीलों में आयोजित होती है। इसमें सैकड़ों नाविकों द्वारा चलाए जाने वाली लंबी और पारंपरिक स्नेक बोट्स (चुंडन वल्लम) भाग लेती हैं, रेस start होते ही पानी थरथरा उठता है और आसमान में “ओप्प ओप्प ओप्पा ओ” जैसे पारंपरिक गीत गूंजने लगते हैं।
तालबद्ध ढोल की धुन, पारंपरिक गीतों की गूंज (वान्जिप्पाट्टु) और हजारों दर्शकों का उत्साह इस रेस को एक अद्भुत दृश्य बना देता है। यह सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि केरल की लोक संस्कृति, एकता और जोश का उत्सव है, जो जल पर बहता हुआ दिखता है। नेहरू ट्रॉफी बोट रेस अगस्त महीने के दुसरे शनिवार को होती है।
2 आयुर्वेद का घर – उपचार जो आत्मा तक पहुँचता है।

केरल किस लिए प्रसिद्ध है यह सवाल अक्सर मन में आता है, विशेष कर पंचकर्म के लिये प्रसिद्ध है। यह एक शरीर शुद्धिकरण प्रक्रिया के लिये जाना जाता है। जो दुनिया भर में Medical Tourism का कारण है। केरल अपने आयुर्वेद के इलाज़ के लिये जाना जाता है, और केरल आयुर्वेद परम्परा सदियों पुरानी है लगभग 5000 हज़ार साल। केरल की हरयाली, शांत वातावरण, समुन्द्र तट केरल की जलवायु आदर्श प्राकृतिक वातावरण प्रदान करती है।
केरल से सैकड़ों आयुर्वेदिक हॉस्पिटल और रिसॉर्ट्स है, जो सरकार से मान्यता प्राप्त है, और यहाँ आयुर्वेद के जरिये लोगो का इलाज़ किया जाता है। केरल में लोग पर्यटन का आनंद लेते हुये आसानी से अपना उपचार करवा सकते है जो उनके मानसिक थकान को भी कम करता है। केरल में हर साल अमेरिका, यूरोप और एशिया से पर्यटक आते है आयुर्वेद उपचार के लिये। केरल में अनुभवी वैद्य है जो की आराम्प्रिक रूप से प्रशिक्षित होते है यहाँ आयुर्वेद के अनुभवी वैद्य और थेरेपिस्ट है।
3 केरल किस लिए प्रसिद्ध है – हर त्योहार में है उत्सव

केरल की संस्कृति इसकी आत्मा है । केरल की विविध परम्पराए यहाँ के रंग-बिरंगे त्योहार यहाँ की पारम्परिक कला इस राज्य को अन्य से भिन्न बनती है ओणम, केरल का प्रसिद्ध त्यौहार है । यह एक ऐसा समय है जब जब पूरा राज्य फूलों की रंगोली (पुक्कलम), नौका दौड़ (वल्लमकली), पारंपरिक सध्या भोजन और लोकनृत्यों से जीवंत हो उठता है। इसके अलावा विशु, ईद, क्रिसमस, और थाय्यम उत्सव भी पूरे धूमधाम से मनाए जाते हैं।
केरल के शास्त्रीय नृत्य जैसे कथकली, मोहिनीअट्टम, और कुडीअट्टम है जो की केरल का traditional dance ही नही बल्कि यहाँ के लोगो की भावना है सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है। केरल उत्सव त्यौहार यहाँ के सांस्कृतिक आयोजन यहाँ की गहराई से जुडी जीवनशैली को दर्शाता है। विशु केरल के प्रमुख त्यौहार में से एक है यह हर वर्ष अप्रैल महीने में आता है यह केरल के नव-वर्ष के रूप में मनाया जाता है नव-वर्ष पर आतिशबाजी करना और traditional food बनाना प्रमुख है।
4 केरल किस लिए प्रसिद्ध है मुनार – चाय का स्वर्ग

केरल किस लिए प्रसिद्ध है? केरल के इडुक्की ज़िले में बसा एक बेहद खुबशुरत हिल- स्टेशन है, जो अपनी हरियाली हरे-भरे चाय के बागों के लिये जाना जाता है मुनार को चाय के स्वर्ग नाम से जाना जाता है। मुनार की हर एक पहाड़ी सिर्फ चाय के बागानों से ढकी हुई है, जो यहाँ की ठंढी हवा के साथ मिल कर मनमोहक खुसबू की तरह चारो तरफ फैली रहती है। मुनार की ग्रीन टी और ऑर्थोडॉक्स ब्लैक टी दुनिभर में पसंद किया जाता है जिसके कारन चाय का निर्यात विदेशों में किया जाता है।
मुनार में टाटा टी म्यूज़ियम है जो की चाय के इतिहास और निर्माण कराय को दर्शाता है। एराविकुलम नेशनल पार्क यह मुन्नार में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है। यह ख़ास तौर पर दुर्लभ नीलगिरी तहर के लियए जाना जाता है, जो की केवल यही पाया जाता है। हर 12 साल में यहाँ एक बार ऐसा सीजन आता है जब पूरा पार्क नीलकुरिंजी फूलों की वजह से पूरा नीला हो जाता है जिसे ब्लूमिंग सीजन कहा जाता है यह एक दुर्लभ प्राक्रतिक घटना है, जो दसक बाद एक बार देखने को मिलती है अगली ब्लूमिंग 2030 में देखे जाने की सम्भावना है।
इस पार्क में आपको नीलगिरी तहर, भारतीय हाथी, गोल्डन जैकल, मलाबार व्हिसलिंग थ्रश और 120+ प्रजातियों के पक्षी व 100+ तितलियाँ पी जाती है जिस वजह से यह पार्क और भी जादा चर्चा में रहता है।
5 केरल का फेमस फूड | Kerala Famous Food in Hindi

केरल का खाना केवल अपने स्वाद के लिये ही नही बल्कि अपनी संस्कृति, परम्परा और स्वास्थ्य के लिये भी प्रसिद्ध है। नारियल, चावल, कारी पत्ता, और यहाँ के मसलों का अनूठा अनुपम देखने को मिलता है। केरल का भोजन दक्षिण भारत में अपनी अलग पहचान बनाये हुये है। सद्या एक भव्य शाकाहारी थाली है जो की ओणम के अवसर पर मनाया जाता है। इस थाली में आपको 20 से ज्यादा प्रकार के व्यंजन होते है जिसमे अवियल (मिक्स वेज करी), थोरन (सूखी सब्ज़ी), सांभर, रसम, पचड़ी, पायसम (मीठा खीर जैसा) आदि शामिल होते है।
केरल के फ़ूड में नारियल एक अहम भूमिका निभाता है। नारियल केरल के भोजन की जान है। नारियल का उपयोग कारी, चटनी, मिठाई यहाँ तक की खाना पकाने वाले तेल में भी किया जाता है। केरल के तटीय क्षेत्र को सीफूड लवर्स के लिये स्वर्ग मन जाता है क्युकी इन हिस्सों में आपको यहाँ fish आसानी से मिल जाता जाता है। यहाँ की मशहूर डिशेस में शामिल है, मीन मोली (Fish Curry with Coconut Milk), करीमीन पोलीचाथु (banana leaf fish fry), प्रॉन्स फ्राय आदि शामिल है।
6 केरल के मशहूर मसाले: भारत की खुशबू का घर

भारत में केरल को मसालों का बगीचा यानि की “Spice Garden” के नाम से जाना जाता है केरल की जलवायु और यहाँ की उपजाऊ मिट्टी मसालों और औषधीय की खेती करने के लिये आदर्श है सदियों से केरल अपने मसालों से विश्व भर के व्यापारियों के आकर्षित करता आया है। यहाँ के मसाले देश ही नही बल्कि विदेशो में भी प्रसिद्ध है।
यदि हम केरल में उगाये जाने वाले प्रमुख मसलों की बात करें तो केरल के मसालों में शामिल है काली मिर्च जिसे काला सोना के नाम से भी जाना जाता है इलायची जिसे “Queen of Spices” कहा जाता है। दालचीनी मीठी सुगंध और औषधीय गुणों से भरपूर केरल के जंगलों में पाई जाती है लौंग तेज गंध और एंटीसेप्टिक गुणों वाली लौंग केरल के मसालों में अलग ही स्थान रखती है।
जायफल और जावित्री यह विशेष स्वाद और स्वास्थ्य लाभ के लिए जाने जाते हैं। ये दोनों मसाले पाचन में सहायक होते हैं। यह मसाले केरल की उपजाऊ भूमि से प्राप्त होता है। इन विशेष मसलों का उपयोग मिठाई और करी बनाने में किया जाता है। केरल के मसाले न केवल आके खाने का स्वाद बढ़ाते है बल्कि ये चिकित्सकीय गुण भी होते है जैसे पाचन सुधारना, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाना और शरीर को डिटॉक्स करना।
7 केरल किस लिए प्रसिद्ध है | भारत का साक्षर राज्य
केरल भारत का सबसे साक्षर राज्य है (लगभग 96% साक्षरता दर)। यहां की स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की स्थिति देश के अन्य राज्यों के लिए मिसाल है। भारत का सबसे शिक्षित राज्य, केरल उच्च साक्षरता दर और सामाजिक प्रगति के लिए भी जाना जाता है। 2021 की जनगणना के अनुसार, केरल की साक्षरता दर लगभग 96.2% है, जो देश में सबसे अधिक है।
केरल की उच्च साक्षरता के प्रमुख कारण शिक्षा पर ज़ोर
महिला सशक्तिकरण महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देकर लैंगिक समानता को सुनिश्चित किया गया।
सामाजिक सुधार आंदोलन: नारायण गुरु जैसे समाज सुधारकों ने जाति और धर्म के भेदभाव को कम किया और शिक्षा को सभी तक पहुँचाया।
8 केरल के नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ: प्रकृति की गोद में केरल

केरल के थेक्कडी में स्थित पेरियार वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है यह अभयारण मुख्य रूप से जंगली हाथियों, पेरियार झील, और बोट सफारी के लिये जाना जाता है यह टाइगर रिज़र्व के रूप में मान्यता प्राप्त है और Project Tiger का हिस्सा है
वायनाड वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी केरल के वायनाड जिले में स्थित है और यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी है। यह अभयारण्य हाथियों के झुंड, घने जंगल, और पश्चिमी घाट की जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह निलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है और वन्यजीव फोटोग्राफरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल है। यहाँ आप जीप सफारी का मजा ले सकते है।
साइलेंट वैली नेशनल पार्क, केरल के पलक्कड़ जिले में स्थित है और यह भारत के सबसे प्राचीन और अप्रभावित वर्षा वनों (Tropical Rainforests) में से एक है। यह पार्क अपनी शांत प्रकृति, दुर्लभ जैव विविधता और लायन-टेल्ड मकाक जैसी विलुप्तप्राय प्रजातियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
9 केरल के ऐतिहासिक मंदिर – आस्था, इतिहास और वास्तुकला का संगम

केरल, जिसे देवों की धरती कहा जाता है, सिर्फ नारियल, बैकवॉटर और आयुर्वेद के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि यह भूमि प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों के लिए भी जानी जाती है बल्कि यह भारत की समृद्ध, संस्कृति, वास्तुशिल्प और परंपरा का भव्य उदाहरण भी हैं केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। इसकी स्थापत्य शैली द्रविड़ वास्तुकला की उत्कृष्ट मिसाल है।
गुरुवायूर श्रीकृष्ण मंदिर, थ्रिसूर जिले में स्थित है और इसे ‘भूलोक वैकुंठ’ कहा जाता है। यहाँ बालरूप में भगवान कृष्ण की पूजा होती है। यह मंदिर हज़ारों साल पुराना माना जाता है और मलयालम ब्राह्मण परंपरा का जीवंत प्रतीक है। थ्रिसूर में स्थित वडक्कुनाथन मंदिर, एक शिव मंदिर है जिसे परशुराम द्वारा स्थापित किया गया माना जाता है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है। यहाँ की थ्रिसूर पूरम महोत्सव विश्व प्रसिद्ध है।
वायनाड की ब्रह्मगिरी पहाड़ियों में स्थित तिरुनेल्ली मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित है। यह ऐसा एकमात्र मंदिर है जहाँ जन्म से मृत्यु तक के सारे संस्कार किए जाते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी। चोत्तानिक्करा मंदिर, एर्नाकुलम जिले में स्थित है और यहाँ देवी को सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर मानसिक और आत्मिक उपचार के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हर वर्ष हजारों श्रद्धालु चिकित्सात्मक पूजा के लिए आते हैं।
10 चोल, पांड्य और विजयनगर का प्रभाव – केरल के इतिहास की अद्भुत कड़ियाँ

केरल का इतिहास सदियों से तमिलनाडु और कर्नाटक की शक्तिशाली राजवंशीय ताकतों से जुड़ा रहा है। विशेष रूप से चोल, पांड्य और विजयनगर जैसे सम्राज्यों ने केरल के राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक ढाँचे को गहराई से प्रभावित किया। चोल वंश, जिसे दक्षिण भारत का सबसे महान शासक वंश माना जाता है, ने 9वीं से 13वीं शताब्दी तक एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया। चोल शासकों का प्रभाव केरल के मालाबार क्षेत्र तक फैला और उन्होंने कई बार यहाँ के छोटे-छोटे राजाओं पर आक्रमण किए।
पांड्य वंश चोलों से भी पहले दक्षिण भारत में उभरा और समय-समय पर केरल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहा। इनका मुख्य आधार मदुरै था, लेकिन पांड्यों का संबंध केरल के तटीय व्यापारिक बंदरगाहों से गहरा रहा। विजयनगर साम्राज्य, जो 14वीं से 17वीं शताब्दी तक दक्षिण भारत की सबसे ताकतवर शक्ति बना रहा, ने केरल के उत्तर और मध्य भागों, विशेषकर कासरगोड और पालक्काड, पर राजनीतिक नियंत्रण जमाया।
इन तीनों राजवंशों का प्रभाव आज भी केरल की भाषा, कला, संस्कृति, धर्म, और यहाँ की और स्थापत्य शैली पर इनका ख़ास प्रभाव देखने को मिलता है। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है की चोलों की शक्ति, पांड्यों की व्यापार नीति और विजयनगर की प्रशासनिक दूरदर्शिता ने केरल को एक समृद्ध सांस्कृतिक प्रदेश बनाने में योगदान दिया।
FAQ
प्र.1: केरल को ‘गॉड्स ओन कंट्री’ क्यों कहा जाता है?
केरल को ‘गॉड्स ओन कंट्री’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली, बैकवॉटर्स और सांस्कृतिक धरोहर अत्यंत समृद्ध है
केरल अपने बैकवॉटर्स, हाउसबोट, आयुर्वेदिक चिकित्सा, हिल स्टेशन, समुद्र तट और वन्यजीव अभयारण्यों के लिए प्रसिद्ध है।
हाँ, केरल आयुर्वेदिक चिकित्सा और प्राकृतिक उपचारों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है।
केरल के बैकवॉटर्स एक अनोखा जलमार्ग तंत्र है जहाँ हाउसबोट में रहकर आप शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कर सकते हैं।
ओणम, विषु और त्रिशूर पूरम केरल के प्रमुख त्योहार हैं जो इसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं
केरल कथकली, मोहिनीअट्टम और कलारीपयट्टु जैसी पारंपरिक कलाओं के लिए प्रसिद्ध है।
केरल का भोजन नारियल और मसालों से भरपूर होता है। इडियप्पम, अप्पम-स्टीयू और केरला साद्या बहुत लोकप्रिय हैं।
हाँ, मुन्नार, वेयनाड और थेक्कडी जैसे हिल स्टेशन सुंदर चाय बगानों और शांत वातावरण के लिए जाने जाते हैं।
वाकरला और कोवलम जैसे समुद्र तट अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए प्रसिद्ध हैं।
बिलकुल, केरल में पेरियार, साइलेंट वैली और थेन्मला जैसे स्थान इको-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं।