Top 10 लोहाघाट पर्यटन स्थल | Lohaghat Tourist Place in Hindi

Top 10 लोहाघाट पर्यटन स्थल | Lohaghat Tourist Place in Hindi
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पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले उत्तराखंड में कई खूबसूरत हिल स्टेशन हैं,लोहाघाट पर्यटन स्थल जिनमें से लोहाघाट का नाम भी बड़े ही गर्व से लिया जाता है. समुद्र तल से करीब 5500 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये हिल स्टेशन अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मनोरम दृश्यों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. देवदार के घने जंगलों से घिरा लोहाघाट न सिर्फ प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर खींचता है बल्कि इतिहास और अध्यात्म से जुड़े लोगों को भी रोमांचित कर देता है. अगर आप भी लोहाघाट घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आइए जानते हैं लोहाघाट के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में, जहां घूमने का मजा ही अलग है.

Table of Contents

लोहाघाट के दर्शनीय स्थल – Advaita Ashram

  • लोहाघाट की खूबसूरती के बीच अगर आप शांति की अनुभूति करना चाहते हैं, तो आपको अद्वैत आश्रम जरूर जाना चाहिए।
  • ये आश्रम लोहाघाट से थोड़ी दूर जंगल के बीचों बीच स्थित है।
  • सुबह यहां पहुंचने पर कोहरे के बीच से निकलता सूरज और पहाड़ों की खामोशी आपको सम्मोहित कर देगी।
  • आश्रम में हरियाली के बीच बनाए गए ध्यान कक्ष में बैठकर आप अपने आप को प्रकृति से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।
  • यहां रहने वाले साधु आपको आध्यात्म और सकारात्मक जीवन जीने का मार्गदर्शन भी देते हैं।

Time: 6 am to 7 pm
Entry fee: Free
Location: 5 km from Lohaghat, near Malli village
How to reach: Rickshaws or taxis are available from Lohaghat. The ashram can be reached by walking a little from Malli village.

लोहाघाट में प्रसिद्ध मंदिर – Katarmal Sun Temple

  • लोहाघाट के पर्यटन स्थलों में शामिल कटारमल सूर्य मंदिर, सूर्य उपासना करने वालों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
  • ये मंदिर लोहाघाट से कुछ ही दूरी पर स्थित एक ऊंची चोटी पर बना है।
  • मुझे याद है, बचपन में यहां जाने के लिए हम सुबह जल्दी उठते थे।
  • पहाड़ों की चढ़ाई करते वक्त सूर्योदय का नजारा देखना अपने आप में एक अविस्मरणीय अनुभव होता था।
  • मंदिर पहुंचने पर सूर्य देव की पहली किरणें मूर्ति पर पड़ती हैं, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
  • मंदिर की बालकनी से पूरे लोहाघाट का नज़ारा भी बेहद मनमोहक होता है।
  • समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक (दर्शनों के लिए)
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: लोहाघाट से 3 किमी दूर, अगस्तमुनि गांव के पास
  • कैसे पहुंचे: लोहाघाट से टैक्सी या जिप मिल जाती है. अगस्तमुनि गांव से थोड़ी पैदल चढ़ाई कर मंदिर पहुंचा जा सकता है।

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लोहाघाट के पर्यटन स्थल – Goru Chamunda Temple

लोहाघाट के पर्यटन स्थल
Tourist Places in Lohaghat – Goru Chamunda Temple in Hindi
  • लोहाघाट के पर्यटन स्थलों की बात हो और गोरू चामुंडा मंदिर का जिक्र ना हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है।
  • ये मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि स्थानीय लोगों के लिए ऊंचाई पर स्थित होने के कारण एक खास पहचान भी रखता है।
  • बचपन में हमारी दादी मां अक्सर बताया करती थीं कि गोरू चामुंडा मां की शक्तियां अपार हैं, और हर मनोकामना पूरी करती हैं।
  • लिहाजा, हर साल छुट्टियों में हम जरूर इस मंदिर जाते थे। मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ों की कठिन चढ़ाई पार करनी पड़ती थी।
  • लेकिन मंदिर पहुंचने पर मां के दर्शन और पूरे लोहाघाट का नजारा देखने के बाद सारी थकान मिट जाती थी।
  • समय: सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक (दर्शनों के लिए)
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: लोहाघाट से 7 किमी दूर, रौंस्याली गांव के पास
  • कैसे पहुंचे: लोहाघाट से टैक्सी या जिप मिल जाती है. रौंस्याली गांव से खच्चरों या पैदल ही मंदिर पहुंचा जा सकता है।

लोहाघाट में जाने की जगहें

  • खूबसूरत लोहाघाट के पर्यटन स्थलों में अगर आप प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहते हैं, तो बनलेख झील आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
  • ये झील लोहाघाट से कुछ ही दूर जंगल के बीचों-बीच स्थित है।
  • याद है, बचपन में हम अक्सर दोस्तों के साथ इस झील पर घूमने जाया करते थे।
  • घने जंगल से होते हुए झील तक पहुंचने का सफर ही रोमांच से भरपूर होता था।
  • फिर, बोटिंग करते हुए हरे-भरे पेड़ों से घिरी शांत झील के बीचों-बीच होना, एक अविस्मरणीय अनुभव होता था।
  • अगर आप भाग्यशाली हों, तो आपको यहां कई तरह के पंछी और जंगली जानवर भी देखने को मिल सकते हैं।
  • समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक (पर्यटकों के लिए)
  • प्रवेश शुल्क: ₹20/- प्रति व्यक्ति (भारतीयों के लिए)
  • स्थान: लोहाघाट से 4 किमी दूर, मल्ली गांव के पास
  • कैसे पहुंचे: लोहाघाट से रिक्शा या टैक्सी मिल जाती है. मल्ली गांव से थोड़ी पैदल या जिप द्वारा झील तक पहुंचा जा सकता है.

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लोहाघाट के पास पर्यटन स्थल – Champawat

Top 10 लोहाघाट पर्यटन स्थल | Lohaghat Tourist Place in Hindi
Tourist Places Near Lohaghat – Champawat in Hindi
  • लोहाघाट की खूबसूरती तो आपने जानी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोहाघाट, चंपावत जिले का मुकुट मणि माना जाता है।
  • जी हां, चंपावत अपने आप में एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है।
  • बचपन में जब कभी दादा जी के साथ घूमने निकलते थे, तो वो हमें जरूर चंपावत ले जाते थे।
  • वहां का प्राचीन मंदिर, बुग्याल और टिपी (शिखर) देखकर हमारी आंखें चौंधिया जाती थी।
  • चंपावत में घूमने के लिए एक पूरा दिन कम पड़ जाता था।
  • अगर आप लोहाघाट घूमने जा रहे हैं, तो चंपावत जरूर जाइएगा। वहां का इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।

लोहाघाट पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • समय: पूरे दिन घूमने के लिए उपयुक्त
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क (धार्मिक स्थलों और संग्रहालयों में प्रवेश शुल्क अलग से हो सकता है।
  • स्थान: लोहाघाट से 23 किमी दूर
  • कैसे पहुंचे: लोहाघाट से टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है।

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लोहाघाट में करने के लिए चीजें – Tracking or Camping

लोहाघाट में करने के लिए चीजें
Things to do in Lohaghat – Tracking or Camping in Hindi

लोहाघाट के पर्यटन स्थलों की बात करें, तो एडवेंचर पसंद लोगों के लिए यहां ट्रैकिंग और कैंपिंग का भी लुत्फ उठाया जा सकता है। याद है, कॉलेज के दिनों में हम दोस्तों के साथ अक्सर ट्रैकिंग पर निकल जाया करते थे। लोहाघाट से कुछ ही दूर जंगल शुरू हो जाता है, जहां ट्रैकिंग के लिए कई रास्ते हैं। हर रास्ता किसी न किसी खूबसूरत जगह पर पहुंचाता था। रात में जंगल के बीच कैंप लगाकर अलाव जलाना और दोस्तों के साथ मिलकर कहानियां सुनाना, वो यादें आज भी दिल को छू जाती है। लोहाघाट आएं, तो एडवेंचर के लिए ट्रैकिंग और कैंपिंग जरूर ट्राई करें, यकीनन ये अनुभव आपको जिंदगी भर याद रहेगा।

  • समय: पूरे दिन की ट्रैकिंग के लिए सुबह जल्दी निकलना उचित रहता है।
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क (वन विभाग द्वारा कुछ क्षेत्रों में अनुमति लेनी पड़ सकती है)
  • स्थान: लोहाघाट के आसपास जंगल क्षेत्र (विभिन्न ट्रैकिंग मार्गों के लिए स्थानीय गाइड से जानकारी लें)
  • कैसे पहुंचे: लोहाघाट से जंगल तक पहुंचने के लिए टैक्सी या जिप किराए पर ली जा सकती है।

आसपास घूमने की जगह – Zero Point

  • यह लोहाघाट के पर्यटन स्थलों की खूबसूरती का असली मजा लेना है, तो आपको जीरो पॉइंट जरूर जाना चाहिए।
  • बचपन में जब भी हमें छुट्टियां मिलती थीं, तो सुबह-सुबह सबसे पहले जीरो पॉइंट जाने का ही प्लान बनता था।
  • ये जगह लोहाघाट से थोड़ी ऊपर की तरफ स्थित है और यहां से पूरे लोहाघाट का ऐसा नजारा देखने को मिलता है।
  • जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. दूर तक फैले हरे-भरे पहाड़, उनके बीच से बहती हुई नदियां और नीला आसमान, मानो प्रकृति की एक खूबसूरत पेंटिंग हो।
  • जीरो पॉइंट पर बैठकर सूर्योदय का नजारा देखना तो एक अलग ही अनुभव है।
  • अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो जीरो पॉइंट आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।

लोहाघाट पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • समय: पूरे दिन घूमने के लिए उपयुक्त, लेकिन सूर्योदय का नजारा देखने के लिए सुबह जल्दी जाना बेहतर होता है।
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: लोहाघाट से 2 किमी दूर
  • कैसे पहुंचे: लोहाघाट से टैक्सी या रिक्शा आसानी से मिल जाती है. थोड़ी पैदल चढ़ाई चढ़कर भी जीरो पॉइंट पहुंचा जा सकता है।

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लोहाघाट के पास घूमने की जगह – Abbot Mount

लोहाघाट के पास घूमने की जगह -लोहाघाट पर्यटन स्थल
Places to Visit Near Lohaghat – Abbot Mount in Hindi
  • लोहाघाट के पर्यटन स्थलों में अगर आप शांत वातावरण और मनोरम दृश्यों का आनंद लेना चाहते हैं, तो एबॉट माउंट आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
  • ये लोहाघाट का सबसे ऊंचा स्थान है और यहां पहुंचने के लिए थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ती थी, मगर बचपन में हम इसे चुनौती की तरह लेते थे।
  • जंगल के बीच से होते हुए एबॉट माउंट की चोटी तक पहुंचने पर जो नजारा देखने को मिलता था, वो मेरी यादों में आज भी ताजा है।
  • चारों तरफ फैले पहाड़ों का 360 डिग्री का दृश्य मानो हमें अपनी ओर खींच लेता था।
  • इसके साथ ही, यहां की ठंडी हवा और पहाड़ी फूलों की खुशबू मन को तरोताजा कर देती थी।
  • अगर आप लोहाघाट जा रहे हैं, तो एबॉट माउंट जरूर चढ़ें, यकीनन ये अनुभव आपको अविस्मरणीय बना देगा।

लोहाघाट पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • समय: पूरे दिन घूमने के लिए उपयुक्त लेकिन सूर्यास्त का नजारा देखने के लिए शाम का समय बेहतर होता है।
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • स्थान: लोहाघाट से 5 किमी दूर, मल्ली गांव के पास
  • कैसे पहुंचें: लोहाघाट से टैक्सी या जिप मिल जाती है. मल्ली गांव से थोड़ी कठिन पैदल चढ़ाई के बाद एबॉट माउंट पहुंचा जा सकता है, स्थानीय गाइड की मदद लेना बेहतर रहता है।

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लोहाघाट में घूमने वाली जगह – Vanshur Fort

  • लोहाघाट पर्यटन स्थल बचपन की कहानियों में राजा-महाराजाओं के किलों के बारे में तो आपने बहुत पढ़ा होगा, लेकिन क्या उन्हें कभी अपने सामने देखा है? अगर नहीं, तो उत्तराखंड के लोहाघाट में आपका स्वागत है!
  • घने जंगलों और चमकती पहाड़ियों के बीच बसा लोहाघाट अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहरों के लिए भी जाना जाता है।
  • इन धरोहरों में से एक है वंशूर किला. माना जाता है, कि इस किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में चंद राजाओं द्वारा करवाया गया था।
  • वीरता और शौर्य की कहानियां समेटे ये खंडहर आज भी इतिहास प्रेमियों को अपनी ओर खींचते हैं।

Time: 9 am to 5 pm
Entry fee: Free
Location: About 7 km from Lohaghat
How to reach: You can reach Vanshoor Fort by hiring a taxi or local vehicle from Lohaghat.

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लोहाघाट का इतिहास – History of Lohaghat

लोहाघाट, उत्तराखंड राज्य में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जिसका समृद्ध और आकर्षक इतिहास रहा है।

प्राचीन काल:

  • यह क्षेत्र 8वीं शताब्दी से कात्युरी राजवंश के शासन में था।
  • कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में चंद राजाओं ने लोहाघाट पर विजय प्राप्त की और यहाँ “सुई” नामक एक किले का निर्माण करवाया।
  • 14वीं शताब्दी में, गोरखनाथ संप्रदाय के योगी गोरखनाथ ने इस क्षेत्र में अपना आश्रम स्थापित किया।

मध्यकाल:

  • 16वीं शताब्दी में, कुमाऊं क्षेत्र पर कट्यूरी राजपूतों का शासन समाप्त हो गया, और इसका नियंत्रण मुगलों के हाथों में आ गया।
  • 18वीं शताब्दी में, गोरखाओं ने कुमाऊं पर आक्रमण किया और लोहाघाट पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।

आधुनिक काल: लोहाघाट पर्यटन स्थल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • 1815 में, अंग्रेजों ने गोरखाओं को हरा दिया और कुमाऊं क्षेत्र पर अपना शासन स्थापित कर लिया।
  • लोहाघाट ब्रिटिश शासन के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बन गया।
  • भारत की स्वतंत्रता के बाद, लोहाघाट उत्तराखंड राज्य का हिस्सा बन गया।

लोहाघाट में प्रसिद्ध त्यौहार – Ganga Dussehra

लोहाघाट पर्यटन स्थल की खूबसूरती तो आपने पढ़ी, लेकिन क्या वहां के माहौल को महसूस किया है? यह लोहाघाट के पर्यटन स्थलों की बात अधूरी है अगर वहाँ के जश्न का जिक्र न हो। साल भर में कई त्यौहारों को धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इनमे से कुछ का अनुभव ही अलग होता है।

  • गंगा दशहरा: मई-जून के महीने में पड़ने वाला ये पर्व लोहाघाट में खास धूमधाम से मनाया जाता है।
  • दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और लोहाघाट में बहने वाली नदी की आरती में शामिल होते हैं।
  • महा शिवरात्रि: शिवरात्रि के पर्व पर पूरा लोहाघाट भक्तिमय हो जाता है।
  • शिव मंदिरों में जलाभिषेक और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है. शाम को रंग-बिरंगी झांकियां निकाली जाती हैं, जो देखने लायक होती हैं।

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लोहाघाट कैसे पहुंचे – How to Reach Lohaghat

खूबसूरत लोहाघाट की मनमोहक वादियों तक पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं। आप अपनी यात्रा को सु सुविधाजनक बनाने के लिए इन विकल्पों में से चुनाव कर सकते हैं:

सड़क मार्ग:

  • लोहाघाट सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
  • दिल्ली से लोहाघाट तक की दूरी लगभग 420 किमी है।
  • आप दिल्ली के ISBT कश्मीरी गेट या आनंद विहार से उत्तराखंड परिवहन निगम की बस लेकर लोहाघाट पहुंच सकते है।
  • किराया लगभग ₹1000 से ₹1200 के बीच है और यात्रा में करीब 11 घंटे लगते है। रेल मार्ग:

रेल मार्ग:

  • निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर है, जो लोहाघाट से लगभग 88 किमी दूर स्थित है।
  • देश के कई प्रमुख शहरों से टनकपुर के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं।
  • टनकपुर से आप टैक्सी या स्थानीय बस द्वारा लोहाघाट पहुंच सकते हैं।
  • टैक्सी का किराया लगभग ₹800 से ₹1000 के बीच है और यात्रा में डेढ़ से दो घंटे लग सकते हैं।

हवाई मार्ग:

  • लोहाघाट का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जो लगभग 160 किमी दूर स्थित है।
  • दिल्ली से पंतनगर के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं।
  • हवाई यात्रा सबसे तीव्र विकल्प है, लेकिन थोड़ा महंगा भी. पंतनगर से आप टैक्सी किराए पर लेकर लोहाघाट पहुंच सकते हैं।
  • टैक्सी का किराया लगभग ₹1500 से ₹2000 के बीच है और यात्रा में लगभग चार घंटे लग सकते हैं।

निष्कर्ष – Conclusion

लोहाघाट पर्यटन स्थल पहाड़ों की रानी, लोहाघाट, प्राकृतिक सौंदर्य और इतिहास के संगम पर बसा एक रमणीय स्थल है। यहां की हरियाली वादियां, मनमोहक झीलें, प्राचीन मंदिर और रोमांचकारी किले पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। एडवेंचर के शौकीनों के लिए भी लोहाघाट किसी जन्नत से कम नहीं. ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग जैसी गतिविधियां आपकी यात्रा को रोमांच से भर देंगी।

लोहाघाट की स्थानीय संस्कृति और यहां के लोगों का गर्मजोशी भरा स्वागत आपके दिल को छू लेगा। उम्मीद है लोहाघाट के पर्यटन स्थलों की जानकारी से आपको अपनी अगली यात्रा की योजना बनाने में मदद मिली होगी। हिमालय की गोद में बसे इस खूबसूरत हिल स्टेशन को अपनी यात्रा सूची में जरूर शामिल करें!

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FAQs

1. लोहाघाट क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: लोहाघाट प्राचीन मंदिरों, अब्बट माउंट से हिमालय के शानदार दृश्यों और देवीधुरा के अनोखे “वॉर मेला” (बग्वाल) के लिए प्रसिद्ध है।

2. लोहाघाट का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: साल भर घूमा जा सकता है, लेकिन मौसम साफ रहने और हिमालय नजर आने के लिए सितंबर से नवंबर और मार्च से मई का समय आदर्श है।

3. लोहाघाट में कहाँ ठहरें?

उत्तर: लोहाघाट और आसपास होटल, गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट उपलब्ध हैं। बजट के अनुसार विकल्प चुन सकते हैं।

4. लोहाघाट के आसपास और कौन से स्थान घूमे जा सकते हैं?

उत्तर: चंपावत (बालेश्वर मंदिर), बैजनाथ (प्राचीन मंदिर), और पंचेश्वर महादेव मंदिर प्रमुख पास के आकर्षण हैं।

5. क्या लोहाघाट में ट्रेकिंग के अवसर हैं?

उत्तर: हाँ, अब्बट माउंट पर आसानी से चढ़ा जा सकता है और आसपास के गाँवों में छोटे ट्रेक किए जा सकते हैं।

6. ‘वॉर मेला’ या ‘बग्वाल’ क्या है?

उत्तर: यह देवीधुरा में रक्षाबंधन के दिन आयोजित एक अनोखा मेला है, जहाँ लोग पत्थरों की मुकाबले (लड़ाई) से देवी को प्रसन्न करते हैं।

7. लोहाघाट की यात्रा के लिए कितने दिन पर्याप्त हैं?

उत्तर: लोहाघाट के मुख्य आकर्षण देखने के लिए 2 से 3 दिन पर्याप्त हैं। अगर आसपास के स्थान भी घूमने हों तो 1-2 दिन और जोड़ सकते हैं।

8. अब्बट माउंट से कौन-कौन से हिमालय के शिखर दिखाई देते हैं?

उत्तर: अब्बट माउंट से पंचाचूली, नंदा देवी, त्रिशूल जैसे मशहूर हिमालयन शिखरों के मनोरम दर्शन होते हैं।

9. क्या लोहाघाट में वन्यजीव अभयारण्य है?

उत्तर: लोहाघाट में तो नहीं, लेकिन इसके निकट बिन्सर वन्यजीव अभयारण्य स्थित है, जहाँ जाने का प्लान बना सकते हैं।

10. लोहाघाट के स्थानीय भोजन में क्या प्रसिद्ध है?

उत्तर: स्थानीय कुमाऊँनी व्यंजन जैसे भांग की चटनीछैनाआलू के गुटकेबाल मिठाई और सिसौण के साग का स्वाद चखना न भूलें।

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