कुलधरा: राजस्थान की धरोहर या भूतों का बसेरा

कुलधरा: राजस्थान की धरोहर या भूतों का बसेरा
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कुलधरा राजस्थान का एक ऐसा हिस्सा जहाँ की धरती ना जाने कितनो रहस्यों से भरी हुई है, वैसे तो राजस्थान अनकही कहानियों का खजाना है, इसी खजाने का एक अनमोल हिस्सा है – कुलधरा गांव, जो जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यह गांव आज उजड़ा हुआ है, लेकिन इसकी खामोशी हजारों सवाल खड़े करती है। कुलधरा को भूतों का बसेरा कहा जाता है।

शाम 6 बजे के बाद यहाँ आने की सख्त मनहाई है।दिन ढलने के बाद यहाँ के गेट बन्द कर दिये जाते है। पर्यटक के बीच रहस्य बना यह गाँव अपने भीतर अनेकों कहानिया समेटे हुये है। इस गाँव को पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा मिले श्राप के कारण यह गाँव आज खँडहर में तबदील हो चुका है।

कुलधरा गांव का इतिहास | जैसलमेर की भूतिया जगह

कुलधरा: राजस्थान की धरोहर या भूतों का बसेरा

असल में यह 84 गाँवों के समूह का एक हिस्सा था। कुलधरा (भूतों का बसेरा) गाँव को पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा 13वीं शताब्दी में बसाया गया था, और लगभग 600 साल तक यह गाँव फलता-फूलता रहा। अपने चरम पर, कुलधरा में 1500 से भी ज्यादा घर थे और लगभग 8000 लोग यहाँ रहते थे। घर बलुआ पत्थर से बने हुए थे और उनकी वास्तुकला देखने लायक थी।

कुलधरा (भूतों का बसेरा) के लोग खेती, व्यापार और अपनी उन्नत जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध था। चारों ओर हरियाली, पानी की व्यवस्थाएं और खुशहाल जीवन – कुलधरा कभी समृद्धि का प्रतीक माना जाता था।

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आख़िर क्यूँ उजड़ा कुलधरा

कुलधरा: राजस्थान की धरोहर या भूतों का बसेरा
कुलधरा

कुलधरा (भूतों का बसेरा) अब कोई आम गाँव की तरह नहीं रहा। यह एक ऐसी जगह में शुमार है, जहाँ घर हैं पर कोई रहने वाला नहीं, दीवारें हैं पर कोई किस्सा सुनाने वाला नहीं। यह एक ऐसी गाँव है जिसे रातों-रात खाली कर दिया गया था। और अब यह कुलधरा गाँव भूतों का बसेरा बन चुका है।

यह भूतों का बसेरा पहले से ही नही रहा है, बल्कि कहा जाता है कि 19वीं शताब्दी में जैसलमेर के शासक सलूम सिंह ने गांव की एक सुंदर कन्या से विवाह करने की इच्छा ज़ाहिर की। जब ग्रामीणों ने इस बात का विरोध किया तो राजा ने उन पर दबाव बनाया। पालीवाल ब्राह्मणों ने अपनी इज्जत और स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक रात में पूरा गांव खाली कर दिया। अजीब बात यह है कि सिर्फ कुलधरा ही नहीं बल्कि आसपास के 84 गांव भी वीरान हो गए और फिर कभी कोई वापस नहीं आया।

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भूतिया किस्से और मान्यताएं

कुलधरा को आज Haunted Village of Rajasthan कहा जाता है। कुलधरा के भूतिया किस्सों की जड़ मन जाता है उस शाप को। कहा जाता है, कि जब पालीवाल ब्राह्मणों ने अपना गाँव छोड़ा, तो उन्होंने जाते-जाते यह शाप दिया:

  • कोई भी इस भूमि पर फिर से नहीं बस पाएगा। जो भी यहाँ रहने की कोशिश करेगा, उसकी बर्बादी तय है।
  • यहाँ की दीवारें अब सिर्फ हमारे दुख का इतिहास सुनाएंगी, किसी की खुशियों की गवाह नहीं बनेंगी।
  • कुछ लोगों का कहना है कि रात में यहां अजीब हलचल महसूस होती है, और अजीब तरह की आवाजें सुने देती है।

कुलधरा का पर्यटन महत्व

कुलधरा गाँव का इतिहास
kuldhara village

जैसलमेर आने वाला हर पर्यटक सोनार किला, सैंड ड्यून्स और ऊँट की सफारी का आनंद लेने आते है, लेकिन असली रोमांच और इतिहास की झलक पाने के लिए वह कुलधरा गाँव की ओर रुख करना पसंद करते है। यह सिर्फ एक पुराना खंडहर नहीं, बल्कि राजस्थान पर्यटन का एक अनोखा और अहम हिस्सा है।

लोग यहाँ सिर्फ खंडहर देखने नहीं, बल्कि इस सवाल का जवाब तलाशने आते हैं, कि आखिर एक पूरा गाँव रातों-रात गायब कैसे हो गया? कैसे कुलधरा भूतों का बसेरा बन गया। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का रहस्य ही पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है।

पर्यटकों के लिए, कुलधरा पालीवाल ब्राह्मणों की सूझ-बूझ और वास्तुकला का जीवंत संग्रहालय है।

  • उन्नत नगर की योजना: गाँव की सड़कों और घरों के Layout का निर्माण सुव्यवस्थित ढंग से किया गया है, जो उस जमाने में उनकी उन्नत सोच को दिखाता है।
  • हवादार मकान: बलुआ पत्थर से बने दो मंजिला मकान, उनकी मोटी दीवारें (जो रेगिस्तान की गर्मी से बचाती थीं), जालीदार नक्काशी, और ventilation सिस्टम पर्हैयटक को आकर्षित करते हैं।
  • गोपनीयता: घरों की खास बनावट (लंबे गलियारे और अंदरूनी आंगन) परिवार की गोपनीयता को बनाए रखती थी, जो आज के पर्यटकों को हैरत में डालने का काम करती है।
  • फिल्म शूटिंग और फोटोग्राफी के नज़रिए से भी इस स्थान का बहुत महत्व है।

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कुलधरा गांव की क्या है खासियत?

कुलधरा: राजस्थान की धरोहर या भूतों का बसेरा
haunted place kuldhara

जैसलमेर की यह भूतिया जगह सिर्फ खंडहर नहीं है, बल्कि राजस्थान की शौर्य, संस्कृति और आत्मसम्मान की कहानी है। इस गाँव से हमे यह सीख मिलती है, कि अपनी इज्जत और सम्मान की रक्षा के लिए लोग अपने बसे-बसाए घर, उन्नत खेती-बाड़ी और समृद्ध जीवन तक छोड़ सकते हैं। यही कारण है कि कुलधरा केवल एक भूतिया जगह नहीं, बल्कि त्याग और साहस की अनोखी कहानी है।

Kuldhara village history यहां की टूटी हवेलियां, वीरान गलियां और मंदिरों के मिले अवशेष उस सुनहरे अतीत की झलक दिखाते हैं। साथ ही हमारे पूर्वजों के उस ज्ञान भण्डार को भी उजागर करते हैं जो यहाँ की वास्तुकला में साफ झलकता है।

  • पर्यटक यहां रहस्य और रोमांच की तलाश में आते हैं।
  • इतिहासकार इसे आत्मसम्मान और स्वाभिमान की धरोहर मानते हैं।

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कुलधरा गांव के अभिलेख और जातीय इतिहास

कुलधरा: राजस्थान की धरोहर या भूतों का बसेरा
Bhutiya ganv

जैसलमेर की यह भूतिया जगह न केवल रहस्यमयी कहानी और लोककथाओं तक सीमित है, बल्कि यहाँ पाए जाने वाले शिलालेख और अभिलेख भी इसके अतीत को उजागर करते हैं।

शिलालेखों से प्राप्त जानकारी

  • यहां मिले अभिलेखों में यहां के निवासियों को सीधे-सीधे ब्राह्मण बताया गया है।
  • काफी अभिलेख इन्हें कुलधर या कलधर जाति से जोड़ते हैं।
  • पालीवाल ब्राह्मणों के भीतर कुलधर एक विशेष जाति समूह था, और इसी नाम पर गांव का नाम कुलधरा पड़ा।

जातियां और गोत्र

कुछ शिलालेख यहां के निवासियों की जाति और गोत्र का भी स्पष्ट उल्लेख करते हैं।

  • जातियां: हरजल, हरजलु, हरजलुनी, मुगदल, जिसुतिया, लोहार्थी, लहठी, लखर, सहारन, जग, कलसर और महाजलार।
  • गोत्र: असमर, सुतधाना, गर्गवी और गागो।

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कुलधरा गाँव जैसलमेर में प्रवेश का समय और शुल्क

यदि आप भी आप जैसलमेर घूमने जा रहे हैं, और रहस्यमयी कुलधरा गाँव देखने के बारे में सोच रहे हैं, तो उसके प्रवेश समय और टिकट शुल्क की जानकारी पहले से जान लेना जरूरी है।

प्रवेश का समय

  • कुलधरा गाँव पर्यटकों के लिए सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
  • सूर्यास्त के बाद यहाँ प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित है, क्योंकि इसे भूतिया और रहस्यमयी स्थल माना जाता है।

प्रवेश शुल्क

  • प्रति पर्यटक टिकट: ₹10
  • कार/जीप प्रवेश शुल्क: ₹50
  • बस प्रवेश शुल्क: ₹100

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निष्कर्ष

कुलधरा न केवल एक खंडहर है, बल्कि यह राजस्थान की इतिहास, संस्कृति, रहस्य और आत्मसम्मान का जीवंत प्रतीक है।
यहां की खामोश गलियां, टूटे हुए मंदिर और हवेलियां आज भी उन कहानियों को बयां करती हैं, जो सदियों पहले घटित हुई थीं।

लोककथाओं से जुड़ा भूतिया रहस्य, शिलालेखों में दर्ज जातीय इतिहास और पर्यटन के लिहाज़ से इसकी लोकप्रियता – ये सब मिलकर कुलधरा को एक अनूठा और रहस्यमयी स्थल बनाते हैं।

FAQs

प्रश्न 1: कुलधरा गांव कहाँ स्थित है?

उत्तर: कुलधरा गांव राजस्थान के जैसलमेर शहर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

प्रश्न 2: कुलधरा गांव क्यों मशहूर है?

उत्तर: यह गांव अपनी रहस्यमयी और भूतिया कहानियों, उजड़े हुए खंडहरों और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 3: क्या कुलधरा गांव वास्तव में भूतिया है?

उत्तर: स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अनुसार यहां अजीब घटनाओं और आवाज़ों का अनुभव होता है। इसी कारण सूर्यास्त के बाद यहां प्रवेश प्रतिबंधित है।

प्रश्न 4: कुलधरा गांव का प्रवेश समय क्या है?

उत्तर: यहां का प्रवेश समय सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है।

प्रश्न 5: कुलधरा गांव का टिकट कितना है?

उत्तर: प्रवेश शुल्क प्रति पर्यटक ₹10, कार/जीप के लिए ₹50 और बस के लिए ₹100 है।

प्रश्न 6: कुलधरा गांव कैसे पहुँचा जा सकता है?

उत्तर: जैसलमेर से टैक्सी या लोकल गाड़ी द्वारा कुलधरा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

प्रश्न 7: कुलधरा गांव का इतिहास क्या है?

उत्तर: कहा जाता है कि 19वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने अपनी इज्जत और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए यह गांव और आसपास के 84 गांव एक ही रात में खाली कर दिए थे।

प्रश्न 8: क्या कुलधरा में कोई गाइड उपलब्ध है?

उत्तर: हाँ, गाँव के प्रवेश द्वार पर अधिकृत गाइड उपलब्ध हैं जो आपको गाँव का इतिहास, वास्तुकला और किस्से विस्तार से बताते हैं। एक गाइड लेना अनुभव को और समृद्ध बना देता है।

प्रश्न 9: क्या कुलधरा में रात में रुकना संभव है?

उत्तर: नहीं, कुलधरा में रात में रुकने की अनुमति नहीं है। गाँव शाम 6:30 बजे के बाद बंद कर दिया जाता है। रात में यहाँ प्रवेश वर्जित है।

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