करवा चौथ 2025 : प्यार, विश्वास और अटूट बंधन का पर्व

करवा चौथ 2025 : प्यार, विश्वास और अटूट बंधन का पर्व
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भारत त्योहारों की धरती है। जहाँ हर उत्सव अपने साथ भावनाओं, परंपराओं और रिश्तों की गहराई लेकर आता है, इन्हीं में से एक है करवा चौथ 2025, जिसे सुहागिन महिलाएँ बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाती हैं। यह केवल व्रत ही नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच प्यार, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है।

करवा चौथ 2025 का व्रत हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह तिथि सामान्यत: अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ती है।

हर त्योहार में अपनी अलग छटा होती है। जहाँ कुछ त्योहार रंगों से जीवन को भरते हैं, वहीं कुछ रिश्तों की गहराई और आस्था को मजबूत करते हैं। करवा चौथ ऐसा ही एक पर्व है, जो विवाहित महिलाओं के लिए बेहद पावन माना जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला उपवास रखती हैं।

करवा चौथ 2025 तिथि और मुहूर्त

करवा चौथ 2025
करवा चौथ 2025

09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि शुरू होगी। और अगले दिन इसकी समाप्ति 10 अक्टूबर शुक्रवार को शाम 07 बजकर 38 मिनट को समाप्त होगा ऐसे में का व्रत 10 अक्टूबर शुक्रवार को इस व्रत को किया जाएगा।

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करवा चौथ का व्रत कैसे करते हैं?

करवा चौथ 2025 का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।

सर्गी

करवा चौथ का दिन सर्गी से शुरू होता है। सास अपनी बहू को तड़के सुबह सर्गी देती है, जिसमें मिठाइयाँ, फल, मेवे और उपवास के लिए आवश्यक सामग्री होती है। सूर्योदय से पहले यह भोजन करके महिलाएँ दिनभर के उपवास के लिए तैयार होती हैं।

निर्जला उपवास

सूर्योदय के बाद महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं यानी पूरे दिन न कुछ खाती हैं और न ही पानी पीती हैं दिनभर भगवान शिव, पार्वती, गणेशजी और चंद्रमा का ध्यान करती हैं। और ईश्वर से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

श्रृंगार और सजधज

शाम को महिलाएँ लाल या गुलाबी परिधान पहनती हैं।अपने हाथों में मेहंदी रचाती हैं और सुहाग का श्रृंगार करती हैं (सिंदूर, चूड़ियाँ, बिंदी, मंगलसूत्र आदि)। यह श्रृंगार सौभाग्य और सुहाग की निशानी माना जाता हैं।

करवा चौथ 2025 की पूजा

सुहागिन महिलाएँ शाम को करवा (मिट्टी या धातु का घड़ा) को गेहूँ या चावल से भरकर सजाती हैं। एक थाल में दीपक, सिंदूर, रोली, चावल और मिठाई रखकर करवा माता की पूजा करती हैं। पूजा के समय करवा चौथ की कथा सुनी या सुनाई जाती है। या पारंपरिक गीत गाती हैं।

चंद्रोदय और व्रत खोलना

रात में चाँद निकलने का इंतजार किया जाता है। चाँद निकलने पर महिलाएँ छलनी से पहले चाँद और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं। चाँद को अर्घ्य (जल) चढ़ाकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है। इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर या पहला निवाला खिलाकर व्रत तुड़वाता है।

व्रत का समापन

चाँद देखने और व्रत खोलने के बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन किया जाता है। इस प्रकार करवा चौथ व्रत पूरा होता है।

करवा चौथ 2025 व्रत का महत्व

यह व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इसके अलवा कुवारी कन्या ये व्रत अच्छे वर की प्राप्ति के लिये करती हैं। इस दिन महिलाएँ सूर्योदय से चंद्रदर्शन तक निर्जला उपवास करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार, विश्वास और अटूट बंधन का प्रतीक माना जाता है।

करवा चौथ 2025 विवाहित स्त्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएँ सुबह सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रमा के दर्शन होने तक निर्जला उपवास करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत से पति-पत्नी के बीच प्यार, विश्वास और अटूट बंधन और मजबूत होता है।

साथ ही, करवाचौथ केवल धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष है, क्योंकि यह भारतीय परिवार व्यवस्था और वैवाहिक रिश्तों की गहराई को दर्शाता है।

करवा चौथ 2025 का धार्मिक विश्वास

यह करवा चौथ का धार्मिक विश्वास यह व्रत हिंदू धर्म में अटूट आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन से रखने पर पति की आयु लंबी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती, श्रीगणेश और करवा माता की पूजा करके अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली और पति की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं। धार्मिक विश्वास यह भी है कि पत्नी की श्रद्धा और प्रार्थना पति को हर संकट से बचाती है और उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है।

करवा चौथ की पौराणिक कथा

करवा चौथ 2025 की पौराणिक कथा
सबसे प्रसिद्ध करवा चौथ की कथा के कई रूप प्रचलित हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा करवा माता से जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार एक महिला जिसका नाम “करवा” था, वह अपने पति से अत्यंत प्रेम करती थी। उसके पति को एक दिन नदी में स्नान करते समय मगरमच्छ ने पकड़ लिया। करवा ने अपने पतिव्रत बल और दृढ़ संकल्प से मगरमच्छ को सूत की डोरी से बाँध लिया और यमराज से पति की रक्षा की प्रार्थना की। पत्नी की सच्ची श्रद्धा और संकल्प से प्रसन्न होकर यमराज ने मगरमच्छ को दंड दिया और उसके पति की आयु बढ़ा दी।

इसी घटना से प्रेरित होकर यह व्रत प्रचलित हुआ और विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं।

करवा चौथ : रिश्तों का उत्सव

करवा चौथ : रिश्तों का उत्सव
यह केवल एक व्रत नहीं बल्कि रिश्तों का उत्सव है। इस दिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं, वहीं पति भी पत्नी के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त करता है। यह पर्व पति-पत्नी के बीच विश्वास, त्याग और अटूट बंधन का प्रतीक है।

साथ ही, करवाचौथ परिवार और समाज में आपसी जुड़ाव को भी मजबूत करता है। महिलाएँ सज-धज कर पूजा करती हैं, कहानियाँ सुनती हैं और मिलकर इस दिन को उत्सव की तरह मनाती हैं। यही कारण है कि करवाचौथ को केवल व्रत नहीं बल्कि प्रेम और रिश्तों के उत्सव के रूप में देखा जाता है।

करवा चौथ पति-पत्नी के प्रेम, विश्वास और अटूट बंधन का पर्व है। इस दिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं।”

निष्कर्ष

करवा चौथ 2025 का सार

करवा चौथ 2025 केवल एक व्रत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर है। यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और समर्पण की भावना को मजबूत करता है। करवा चौथ 2025 में परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम देखने को मिलेगा।

इस व्रत का जीवन और रिश्तों पर प्रभाव

करवा चौथ 2025 का प्रभाव केवल एक दिन तक सीमित नहीं है। यह व्रत वर्षभर रिश्तों में मधुरता लाता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि रिश्ते केवल साथ रहने से नहीं, बल्कि एक-दूसरे के लिए त्याग और समर्पण से मजबूत होते हैं। करवा चौथ 2025 निश्चित रूप से प्रेम और विश्वास के इस अटूट बंधन को और भी मजबूत बनाएगा।

करवा चौथ 2025 की यह पावन परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। यह व्रत हमारी संस्कृति की वह कड़ी है जो अतीत को वर्तमान से और वर्तमान को भविष्य से जोड़ती है। करवा चौथ 2025 में हर घर में खुशियों का माहौल होगा और प्रेम की ज्योति जलती रहेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) – करवा चौथ 2025

प्रश्न: Karva Chauth 2025 date कब है?

उत्तर: Karva Chauth 2025 date 10 October 2025, Friday है। यह भारतीय कैलेंडर के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है।

प्रश्न: Karva Chauth 2025 date and time क्या है?

उत्तर: Karva Chauth 2025 date and time: 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार। पूजा मुहूर्त शाम 5:30-6:45 बजे, चंद्रोदय रात्रि 8:15 बजे (दिल्ली समय)।

प्रश्न: करवा चौथ 2025 कब है?

उत्तर: करवा चौथ 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा।

प्रश्न: Karva Chauth 2025 date in India calendar क्या है?

उत्तर: Karva Chauth 2025 date in India calendar के अनुसार 10 अक्टूबर 2025 है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है।

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