[Top 12] केरल के प्रमुख त्यौहार | Famous Festivals of Kerala in Hindi

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केरल, जिसे “देवों का अपना देश” भी कहा जाता है, सिर्फ अपने हरे-भरे नजारों, सुंदर समुद्र तटों और मनमोहक backwaters के लिए ही नहीं, बल्कि अपने विविध और vibrant त्योहारों के लिए भी जाना जाता है। यह article केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar), केरल में करने के लिए अद्भुत चीजें का विस्तृत विवरण प्रदान करेगा, जो इस खूबसूरत राज्य की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Kerala का हर त्यौहार अपने आप में एक अनूठा अनुभव है। कुछ festival धार्मिक महत्व रखते हैं, तो कुछ फसल के मौसम का जश्न मनाते हैं। Keral ke tyohar लोगों के जीवन में खुशियाँ लाते हैं, और परंपराओं को जीवित रखते हैं। आइए जानते हैं केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar) के बारे में विस्तार से।

Table of Contents

1. ओणम (Onam) – केरल का राष्ट्रीय त्यौहार

ओणम का सुंदर दृश्य, जिसमें पुक्कलम, सद्या और पारंपरिक नृत्य शामिल हैं – केरल का प्रमुख त्योहार, Keral ka Prasiddh Tyohar।
रंगों, परंपरा और खुशियों से भरा ओणम, केरल का प्रमुख त्योहार! 🎉🌸 | Celebrate Keral ka Prasiddh Tyohar with Pookkalam, Sadhya & Festivities!

ओणम (Onam) केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar) है, जो हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार राजा महाबली के वापस घर आने की खुशी में मनाया जाता है, जिन्हें केरल के लोकप्रिय राजा माना जाता है।

माना जाता है कि ओणम केवल एक दिन का नहीं, बल्कि 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है, जिसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और उत्सव मनाए जाते हैं। इस दौरान पूरा केरल फूलों, रंगों और उत्साह से भर जाता है।

ओणम के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: पूरे केरल में, विशेष रूप से त्रिशूर, कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में
  • समय: अगस्त-सितंबर (मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह)
  • प्रवेश शुल्क: अधिकांश सार्वजनिक समारोह निःशुल्क
  • पास के आकर्षण: अलेप्पी बैकवाटर्स, फोर्ट कोच्चि, तिरुवनंतपुरम का पद्मनाभस्वामी मंदिर
  • पहुंचने का तरीका: केरल के प्रमुख शहरों जैसे कोच्चि, तिरुवनंतपुरम और कोझिकोड के हवाई अड्डों के माध्यम से

माना जाता है कि ओणम के दौरान, पूरे केरल में भव्य पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाई जाती है, और पारंपरिक ओणम सद्या (विशेष भोजन) का आयोजन होता है। वल्लम कली (स्नेक बोट रेस) और पुलिकली (बाघ का नृत्य) जैसे पारंपरिक खेल और नृत्य इस त्यौहार के मुख्य आकर्षण हैं।

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2. विशु (Vishu) – केरल का नववर्ष

माना जाता है कि विशु केरल का पारंपरिक नववर्ष त्योहार (Kerala ka mukhya tyohar) है, जो मलयालम कैलेंडर के पहले दिन (आमतौर पर अप्रैल में) मनाया जाता है। इस दिन को शुभ शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, और लोग विशु कनी (पहली दृष्टि) देखकर दिन की शुरुआत करते हैं।

विशु का एक महत्वपूर्ण रिवाज है “विशुक्कनी”, जिसमें फल, अनाज, सोना, चांदी, कपड़े और पैसे जैसी शुभ वस्तुएं एक विशेष तरीके से सजाई जाती हैं। माना जाता है कि सुबह उठकर सबसे पहले इन चीजों को देखने से पूरा साल शुभ और समृद्धि से भरा रहता है।

विशु के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: पूरे केरल में, विशेष रूप से मलप्पुरम और त्रिशूर जिलों में
  • समय: अप्रैल महीने में (आमतौर पर 14 या 15 अप्रैल)
  • प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नहीं, यह मुख्य रूप से घरों में मनाया जाता है
  • पास के आकर्षण: गुरुवायूर मंदिर, त्रिशूर पूरम, वाज़हकुल्लम वाटरफॉल, केरल के प्रमुख हिल स्टेशन
  • पहुंचने का तरीका: कोच्चि या कोझिकोड हवाई अड्डे से, फिर बस या टैक्सी द्वारा

जिसमें विशु के दिन, बड़े-बुजुर्ग बच्चों को ‘विशुकैनीकाज़चा’ नामक उपहार देते हैं, जिसमें आमतौर पर सिक्के या पैसे होते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा होती है, और परिवार एक साथ पारंपरिक भोजन का आनंद लेते हैं।

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3. थ्रिसूर पूरम (Thrissur Pooram) – केरल का सबसे प्रसिद्ध मंदिर उत्सव

केरल का प्रमुख त्योहार, Keral ka Prasiddh Tyohar, का अद्भुत दृश्य, जिसमें सजे-धजे हाथियों का जुलूस, चमकदार छत्रों का प्रदर्शन और पारंपरिक चेंडा मेलम संगीत शामिल है, जो त्रिशूर पूरम उत्सव की भव्यता को दर्शाता है।
केरल का प्रमुख त्योहार, Thrissur Pooram, जहां भव्य हाथी जुलूस, पारंपरिक संगीत और रंग-बिरंगी सजावट मिलकर एक दिव्य नज़ारा पेश करते हैं। 🎆🐘 | Experience Keral ka Prasiddh Tyohar with culture, tradition & grandeur!

थ्रिसूर पूरम (Thrissur Pooram) केरल के सबसे प्रसिद्ध और भव्य मंदिर उत्सवों (Kerala ke tyohar) में से एक है। इसे ‘त्योहारों का राजा’ (festivals of Kerala hindi) कहा जाता है। यह अप्रैल-मई के महीने में वाडक्कुन्नाथन मंदिर में मनाया जाता है।

इस उत्सव में दस मंदिरों के भगवान और देवी एक साथ आते हैं, जिनमें परमेक्कावु और तिरुवंबादी देवियां मुख्य हैं। इस त्यौहार की मुख्य विशेषता है सजे हुए हाथियों का जुलूस, धमाकेदार पटाखे और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन।

थ्रिसूर पूरम के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: वाडक्कुन्नाथन मंदिर, थ्रिसूर, केरल
  • समय: अप्रैल-मई (मलयालम कैलेंडर के मेडम महीने में)
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • पास के आकर्षण: गुरुवायूर मंदिर, अथिरपल्ली झरना, चेत्तुवा समुद्र तट
  • पहुंचने का तरीका: कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 85 किमी, थ्रिसूर रेलवे स्टेशन से 3 किमी

थ्रिसूर पूरम का सबसे प्रभावशाली दृश्य होता है ‘कुडामत्तम’, जिसमें दो मंदिरों के प्रतिनिधि रंग-बिरंगे छत्रों (छाते) का प्रदर्शन करते हैं। ‘इलंजिथारा मेलम’ नामक वाद्य प्रदर्शन और ‘वेदिकेट्टु’ नामक पटाखों का प्रदर्शन भी इस त्यौहार के प्रमुख आकर्षण हैं।

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4. अट्टूकल पोंगला (Attukal Pongala) – केरल का महिला-केंद्रित त्यौहार

अट्टूकल पोंगला (Attukal Pongala) दुनिया का सबसे बड़ा महिला-केंद्रित धार्मिक समारोह है, जो केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में मनाया जाता है। यह अट्टूकल भगवती (देवी पार्वती का रूप) को समर्पित है और फरवरी-मार्च के महीने में आयोजित किया जाता है।

इस उत्सव में लाखों महिलाएं सड़कों पर खुले में चावल, गुड़ और नारियल से बना विशेष प्रसाद ‘पोंगला’ पकाती हैं और देवी को अर्पित करती हैं। यह एक अद्भुत और अविश्वसनीय दृश्य होता है।

अट्टूकल पोंगला के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: अट्टूकल भगवती मंदिर, तिरुवनंतपुरम, केरल
  • समय: फरवरी-मार्च (मलयालम कैलेंडर के कुंभम माह में)
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • पास के आकर्षण: कोवलम बीच, पद्मनाभस्वामी मंदिर, शंखुमुखम बीच
  • पहुंचने का तरीका: तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 8 किमी, तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन से 3 किमी

अट्टूकल पोंगला के दिन, शहर के लगभग 5 किमी के दायरे में महिलाएं अपने चूल्हे स्थापित करती हैं और पोंगला बनाती हैं। यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे बड़े महिला समारोह के रूप में दर्ज है, जिसमें 25 लाख से अधिक महिलाएं भाग लेती हैं।

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5. नवरात्रि / दुर्गा पूजा (Navaratri / Durga Puja) – केरल में

नवरात्रि को केरल में ‘नवरात्रि’ या ‘दसरा’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि यह पूरे भारत में मनाया जाता है, केरल में इसका अपना अनूठा रूप है। यहां नवरात्रि के दौरान ‘विद्यारंभम’ संस्कार किया जाता है, जिसमें बच्चों को औपचारिक शिक्षा की शुरुआत कराई जाती है।

केरल में नवरात्रि के दौरान देवी सरस्वती की पूजा प्रमुख रूप से की जाती है। इस दौरान घरों और मंदिरों में ‘गोलु’ (बुतों का प्रदर्शन) सजाया जाता है, और बच्चे पुस्तकें और वाद्य यंत्र देवी के सामने रखते हैं।

नवरात्रि के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: पूरे केरल में, विशेष रूप से कोच्चि, तिरुवनंतपुरम और कोझिकोड में
  • समय: सितंबर-अक्टूबर
  • प्रवेश शुल्क: अधिकांश सार्वजनिक समारोह निःशुल्क
  • पास के आकर्षण: कोच्चि में मैरीन ड्राइव, तिरुवनंतपुरम में नाप्पियर संग्रहालय
  • पहुंचने का तरीका: केरल के प्रमुख शहरों के हवाई अड्डों या रेलवे स्टेशनों के माध्यम से

नवरात्रि के आखिरी तीन दिन – सप्तमी, अष्टमी और नवमी – विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। विजयदशमी के दिन, जो नवरात्रि के बाद आता है, विद्यारंभम समारोह आयोजित किए जाते हैं और नए कार्यों की शुरुआत की जाती है।

6. थेय्यम (Theyyam) – केरल के प्रमुख त्यौहार

केरल थेय्यम (Theyyam festival in Hindi) केरल का एक प्राचीन अनुष्ठानिक कला रूप है, जो उत्तरी केरल, विशेष रूप से कासरगोड और कन्नूर जिलों में प्रचलित है। यह केवल एक नृत्य नहीं, बल्कि एक अनुष्ठान है जिसमें कलाकार देवताओं और पितरों के रूप में आते हैं।

थेय्यम के दौरान, कलाकार जटिल मेकअप, विशाल मुकुट और रंगीन वस्त्र पहनते हैं, और माना जाता है कि प्रदर्शन के दौरान उनमें देवता का वास होता है। यह अनुष्ठान आमतौर पर अक्टूबर से मई तक चलता है।

थेय्यम के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: उत्तरी केरल के कावु (मंदिर) और तारावाड़ (पारंपरिक घर)
  • समय: अक्टूबर से मई (विशेष रूप से नवंबर से मार्च के बीच)
  • प्रवेश शुल्क: अधिकांश स्थानों पर निःशुल्क
  • पास के आकर्षण: मुझप्पिलंगाड समुद्र तट, सेंट एंजेलो किला, पयांबलम बीच
  • पहुंचने का तरीका: कन्नूर या कालीकट (कोझिकोड) हवाई अड्डे से, फिर स्थानीय परिवहन द्वारा

केरल थेय्यम में 400 से अधिक रूप होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट अनुष्ठान, नृत्य, गीत और मुद्राएं हैं। यह केरल के सबसे प्राचीन कला रूपों में से एक है और इसे “देवों का नृत्य” (dance of kerala in hindi) भी कहा जाता है।

7. मलयालम नव वर्ष (Kollavarsham) – केरल के प्रमुख त्यौहार

मलयालम नव वर्ष, जिसे ‘कोल्लवर्षम’ के नाम से भी जाना जाता है, केरल का पारंपरिक नववर्ष है। यह आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में, चिंगम माह के पहले दिन मनाया जाता है।

इस दिन को मलयालम कैलेंडर के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है, और इसे केरल में नए कृषि सत्र की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन विशेष पूजा की जाती है और पारंपरिक भोजन बनाया जाता है।

मलयालम नव वर्ष के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: पूरे केरल में
  • समय: अगस्त-सितंबर (मलयालम कैलेंडर के चिंगम माह का पहला दिन)
  • प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नहीं, यह मुख्य रूप से घरों में मनाया जाता है
  • पास के आकर्षण: वर्कला बीच, जटायु अर्थ सेंटर, नेय्यार बांध, केरल में हनीमून के लिए स्थान
  • पहुंचने का तरीका: तिरुवनंतपुरम या कोच्चि हवाई अड्डे से, फिर स्थानीय परिवहन द्वारा

मलयालम नव वर्ष के दिन, लोग नए कपड़े पहनते हैं, मंदिरों में जाते हैं और पारंपरिक भोजन का आनंद लेते हैं। ग्रामीण इलाकों में, किसान अपने खेतों और उपकरणों की पूजा करते हैं और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं।

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8. मकरविलक्कु (Makaravilakku) – केरल के प्रमुख त्यौहार

मकरविलक्कु (Makaravilakku) सबरीमाला में लॉर्ड अयप्पा मंदिर का प्रसिद्ध वार्षिक उत्सव है। यह जनवरी के मध्य में मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस दिन, पोन्नंबलमेडु पहाड़ी पर एक ज्योति (दिव्य प्रकाश) दिखाई देती है, जिसे देखने के लिए लाखों भक्त एकत्र होते हैं।

यह अयप्पा भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है, और 41 दिनों की कठोर तपस्या के बाद तीर्थयात्रा का समापन होता है।

मकरविलक्कु के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: सबरीमाला मंदिर, पेरियार टाइगर रिजर्व, केरल
  • समय: जनवरी 14 (मकर संक्रांति)
  • प्रवेश शुल्क: मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है, लेकिन ऑनलाइन पंजीकरण आवश्यक है
  • पास के आकर्षण: पेरियार टाइगर रिजर्व, गवी जंगल पैकेज, कुमिली
  • पहुंचने का तरीका: कोच्चि हवाई अड्डे से 160 किमी, पंबा बेस कैंप तक बस या टैक्सी, फिर पैदल मार्ग

मकरविलक्कु के दिन, सबरीमाला मंदिर में ‘देवदर्शनम’ होता है, जिसमें अयप्पा की मूर्ति पर पवित्र आभूषण (थिरुवाभरणम) पहनाए जाते हैं। इसके बाद, पोन्नंबलमेडु पहाड़ी पर तीन बार दिव्य ज्योति दिखाई देती है, जिसे ‘मकरज्योति’ कहा जाता है।

9. नेहरू ट्रॉफी बोट रेस (Nehru Trophy Boat Race) – केरल का प्रसिद्ध खेल उत्सव

नेहरू ट्रॉफी बोट रेस (Nehru Trophy Boat Race) केरल का सबसे प्रसिद्ध नौका दौड़ उत्सव है, जो हर साल अगस्त के दूसरे शनिवार को अलेप्पी के पुन्नमडा झील में आयोजित किया जाता है। इसे ‘केरल का वॉटर ओलंपिक्स’ भी कहा जाता है।

यह दौड़ पंडित जवाहरलाल नेहरू के सम्मान में शुरू की गई थी, जो 1952 में अलेप्पी आए थे। इस प्रतियोगिता में 100 से अधिक नाविक वाली विशाल स्नेक बोट्स (चुंडन वल्लम) हिस्सा लेती हैं।

नेहरू ट्रॉफी बोट रेस के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: पुन्नमडा झील, अलेप्पी (आलप्पुझा), केरल
  • समय: अगस्त का दूसरा शनिवार
  • प्रवेश शुल्क: ₹100 से ₹3000 तक (श्रेणी के अनुसार)
  • पास के आकर्षण: अलेप्पी बैकवाटर्स, मारारी बीच, अर्थुंकल चर्च
  • पहुंचने का तरीका: कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 85 किमी, अलेप्पी रेलवे स्टेशन से 4 किमी

नेहरू ट्रॉफी बोट रेस का मुख्य आकर्षण है चुंडन वल्लम (स्नेक बोट) रेस, जिसमें 100 से 150 फीट लंबी नावें, प्रत्येक में लगभग 100 नाविक होते हैं। रेस के दौरान, नाविक पारंपरिक वंचिपट्टु (बोट सॉन्ग) गाते हैं, जो इस अनुभव को और भी रोमांचक बनाता है।

10. परूर का पूरम (Parur Pooram) – एक प्राचीन मंदिर उत्सव

परूर का पूरम (Parur Pooram) एरनाकुलम जिले के परूर (उत्तरी परूर) में श्री कृष्ण मंदिर में मनाया जाने वाला एक प्राचीन मंदिर उत्सव है। यह लगभग 1300 वर्षों से मनाया जा रहा है और केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar) में से एक है।

इस उत्सव में, 7 मंदिरों के देवी-देवता परूर श्री कृष्ण मंदिर में एकत्र होते हैं। इसमें भव्य हाथी परेड, धमाकेदार पटाखे और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं।

परूर का पूरम के मुख्य आकर्षण:

  • स्थान: श्री कृष्ण मंदिर, उत्तरी परूर, एरनाकुलम जिला, केरल
  • समय: फरवरी-मार्च (मलयालम कैलेंडर के कुंभम माह में)
  • प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
  • पास के आकर्षण: चेराई बीच, कलाडी (आदि शंकराचार्य का जन्मस्थान), कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर
  • पहुंचने का तरीका: कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 25 किमी, आलुवा रेलवे स्टेशन से 15 किमी

परूर पूरम का मुख्य आकर्षण है ‘कुडामत्तम’ (छातों का आदान-प्रदान), जिसमें विभिन्न मंदिरों के प्रतिनिधि सजावटी छातों का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा, पांच्वाद्यम (पारंपरिक संगीत) और एलेफेंट एनसेम्बल (15 से अधिक हाथियों का समूह) भी इस उत्सव के प्रमुख आकर्षण हैं।

11. एट्टुमानूर पूरम (Ettumanoor Pooram) – केरल के प्रमुख त्यौहार

एट्टुमनूर पूरम (Ettumanoor Pooram) – केरल का भव्य मंदिर उत्सव! ✨ भव्य सजे हुए हाथी, रंग-बिरंगे छत्रों का प्रदर्शन और पारंपरिक चेंडा मेलम की धुन के साथ एट्टुमनूर महादेव मंदिर का दिव्य दृश्य। 🔥🌟 #EttumanoorPooram #केरल_का_प्रसिद्ध_त्योहार #TempleFestival
एट्टुमनूर पूरम (Ettumanoor Pooram) – केरल का भव्य मंदिर उत्सव! ✨ भव्य सजे हुए हाथी, रंग-बिरंगे छत्रों का प्रदर्शन और पारंपरिक चेंडा मेलम की धुन के साथ एट्टुमनूर महादेव मंदिर का दिव्य दृश्य। 🔥🌟 #EttumanoorPooram #केरल_का_प्रसिद्ध_त्योहार #TempleFestival

एट्टुमानूर पूरम केरल के कोट्टायम जिले में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार (keral ka pramukh tyohar) है। यह त्योहार एट्टुमानूर महादेव मंदिर में आयोजित किया जाता है और इसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस उत्सव की खास बात यह है कि इसमें हाथियों की शोभायात्रा, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन और आतिशबाजी का आयोजन किया जाता है। यह त्योहार केरल की संस्कृति और परंपराओं को बखूबी दर्शाता है।

एट्टुमानूर पूरम के दौरान मंदिर के आसपास का वातावरण भक्तिमय और उत्साहपूर्ण हो जाता है। हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस त्योहार का मुख्य आकर्षण हाथियों की सजावट और उनकी शोभायात्रा है, जो देखने लायक होती है।

  • कब मनाया जाता है: फरवरी-मार्च (मलयालम कैलेंडर के अनुसार)
  • कहाँ मनाया जाता है: एट्टुमानूर महादेव मंदिर, कोट्टायम
  • नजदीकी आकर्षण: कुमारकोम बैकवाटर्स, वेम्बनाड झील
  • कैसे पहुँचें: कोच्चि हवाई अड्डा या कोट्टायम रेलवे स्टेशन

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12. नवरात्रि (Navaratri) – केरल में दुर्गा पूजा (Kerala mein Durga Puja)

नवरात्रि केरल में दुर्गा पूजा के रूप में मनाई जाती है और यह त्योहार पूरे राज्य में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। केरल में नवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि यहाँ के लोग इसे बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।

इस त्योहार के दौरान, महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनकर गरबा नृत्य करती हैं और देवी दुर्गा की आराधना करती हैं। केरल के कई मंदिरों में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन, विजयदशमी या दशहरा मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

  • कब मनाया जाता है: सितंबर-अक्टूबर (हिंदू कैलेंडर के अनुसार)
  • कहाँ मनाया जाता है: पूरे केरल में, विशेषकर त्रिवेंद्रम और कोच्चि में
  • नजदीकी आकर्षण: पद्मनाभस्वामी मंदिर, कोवलम बीच
  • कैसे पहुँचें: त्रिवेंद्रम हवाई अड्डा या कोच्चि रेलवे स्टेशन

नवरात्रि के दौरान केरल के लोग अपने घरों को फूलों और दीयों से सजाते हैं और पारंपरिक व्यंजन जैसे पायसम और नैवेद्यम बनाते हैं। यह केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar) न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें संगीत, नृत्य और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

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Conclusion

केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar) न सिर्फ यहाँ की संस्कृति को दिखाते हैं, बल्कि लोगों को एक साथ जोड़ते भी हैं। ओणम, विशु, थ्रिसूर पूरम जैसे त्योहार (kerala ke tyohar) यहाँ के लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। ये त्योहार न केवल खुशियाँ लाते हैं, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं। अगर आप केरल घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो इन त्योहारों के दौरान जाना सबसे बेस्ट रहेगा। यहाँ के त्योहार (kerala ka festival) आपको केरल की खूबसूरत संस्कृति से रूबरू कराएंगे।

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केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar) के FAQs

1. केरल का प्रमुख त्योहार कौन सा है?

केरल के प्रमुख त्यौहार (Kerala ke pramukh tyohar) ओणम है, जो पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है।

2. केरल में कौन सा त्योहार मनाया जाता है?

केरल में ओणम, विशु, थ्रिसूर पूरम, तेय्यम जैसे कई त्योहार (keral ke tyohar) मनाए जाते हैं।

3. केरल का हार्वेस्ट फेस्टिवल कौन सा है?

केरल का हार्वेस्ट फेस्टिवल (harvest festival of kerala in hindi) ओणम है, जो फसल कटाई के समय मनाया जाता है।

4. ओणम क्यों मनाया जाता है?

ओणम केरल के राजा महाबली की याद में मनाया जाता है और यह फसल कटाई का त्योहार (harvest festival of kerala in hindi) भी है।

5. केरल के त्योहार क्यों खास हैं?

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